धरसीवा। जाति प्रमाण पत्र के लिए वंशावली की खोज में भटक रहे प्रभु धुरू नामक आदिवासी की बुधवार शाम चरोदा पुल के ऊपर सड़क हादसे में दर्दनाक मौत गई सड़क हादसों में असमय मृत्यु धरसीवा क्षेत्र के लिए कोई नई बात नहीं बेतरतीब ढंग से बनी सिक्स लाइन ओर सर्विस रोड खूनी सड़क के रूप में प्रसिद्ध हो चुके हैं मंगलबार की शाम भी सांकरा में एक व्यक्ति की सड़क हादसे में दर्दनाक मृत्यु हुई थी लेकिन बुधवार की शाम प्रभु धुरू नामक आदिबासी की मृत्यु कई अनुत्तरित प्रश्नों को जन्म दे गई जाति प्रमाण पत्र के लिए शुरू सफर उसकी मृत्यु पर आकर खत्म हो गया आख़िर ये केंसा सिस्टम है इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
मृतक प्रभु धुरू की तीन बेटियां है एक पुत्र है जिनमे दो का विवाह हो चुका है जाति प्रमाण पत्र न बन पाने से मृतक की चारों संताने उच्च शिक्षा से वंचित रह गयी।
दो वाइको से 4 लोग गए थे वंशावली की खोज में
मृतक प्रभु धुरू के समधी नन्दकुमार मरकाम ने बताया कि हम लोग दो वाइको से कुल 4 सदस्य रायपुर सेजबहार दतरेंगा से हथबन्ध गए थे उनके समधी की तीन बेटियों में से एक उनके पुत्र को व्याही है जाति प्रमाण पत्र के अभाव में उनकी बेटिया उच्च शिक्षा व सरकरीं नोकरी में आवेदन करने से वंचित रह गई लेकिन बच्चो के लिए जाति प्रमाण पत्र जरूरी है इसीलिए बुधवार को मृतक प्रभु धुरू एक वाइक पर एक दामाद को लेकर ओर दूसरी वाइक पर वह अपने बेटे को साथ लेकर हथबन्ध गए थे हथबन्ध में दिनभर अपने पूर्वजों के बारे में पता किये लेकिन कोई जानकारी हाथ नहीं लगी शाम को वापस रायपुर तरफ आ रहे थे कि चरोदा पुल के उपर उनके समधी की वाइक को पीछे से तीव्र रफ्तार कार ने टक्कर मारी ओर काफी दूर तक घसीटते ले गया जिससे उनके समधी की मौके पर ही मृत्यु हो गई घटना में वाइक के पीछे बैठा उनका दामाद गंभीर रूप से घायल है ।
5 पीढ़ियों की वंशावली चाहिए
मृतक प्रभु धुरू के समधी नन्दकुमार मरकाम ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र के लिए 5 पीढ़ियों की वंशावली चाहिए लेकिन पुराने समय मे कोई रिकार्ड नही रखते थे इसलिए बहुत दिक्कत आ रही है।
मृतक बहुत छोटे में दादाजी के साथ आकर रायपुर में बसे थे
मृतक के समधी नन्दकुमार मरकाम ने बताया कि मृतक जब बहुत छोटे थे तब अंत गांव से आकर यहां रायपुर में बसे थे जाति प्रमाण पत्र के लिए वंशावली के प्रमाण मांगे गए थे उनके समधी को ऐंसी जानकारी मिली कि उनके पूर्वजों का पुराना गांव हथबन्ध रहा है इसलिए वहां गए थे लेकिन हथबन्ध में कोई जानकारी हांसिल नहीं हुई उल्टा वापसी के समय दर्दनाक हादसा होने से उनके समधी की भर्ती अवश्य हो गई।
मृत्यु किसकी
इस दर्दनाक हादसे में मृत्यु भले ही प्रभु धुरू की हुई हो लेकिन वास्तविकता के धरातल पर मृत्यु किसकी हुई कहीं उस सिस्टम की तो नहीं जिसके कारण सख्त नियमो के चलते एक आदिवासी जाति प्रमाण पत्र के लिए वंशावली की खोज में दिन रात इधर उधर भटकता रहा ओर अंततः बुधवार की शाम प्रभु धुरू की मृत्यु हो गई।