सूंड से उखाड़ा हैंडपंप, शेड तोड़े, सड़क भी पहुंचने लायक नहीं, हाथियों का आतंक से ग्रामीण परेशान

जशपुर। सोगड़ा के भैरव पहाड़ में वन विभाग द्वारा डेवलप किए जा रहे इको लैब में पहुंचकर दंतैल ने जमकर उत्पात मचाया। हाथी ने इको लैब में लोगों के बैठने के लिए बनाए गए शेड तोड़ दिए हैं। इस स्थान पर पहुंचने के लिए बनी सड़क भी लगभग उखड़कर बह चुकी है। हैंडपंप को भी हाथी ने उखाड़कर फेंक दिया है। ग्रामीण सूत्रों के अनुसार असामाजिक तत्व भी इस स्थान को नुकसान पहुंच रहे हैं। क्योंकि वन विभाग इको लैब की निगरानी नहीं कर रहा है।

बीते कुछ महीनों से एक दंतैल का सोगड़ा इलाके में आना-जाना लगा हुआ है। सोगड़ा में अघोर पीठ वामदेव आश्रम जाने वाली गेट के सामने ही इको लैब जाने के लिए सड़क बनी है। प्रवेश द्वार को आकर्षक तरीके से सजाया है। भैरव पहाड़ की चोटी पर कई दशक पुराना भैरव मंदिर बना है। इस स्थान के आसपास के इलाकों काे इको लैब के रूप में डेवलप किया जा रहा है। वन विभाग की यह विशेष योजना है, जिसका उद्देश्य वानिकी के विभिन्न पहलुओं को लोगों को रूबरू कराना और अध्ययन है।

इस लैब की स्थापना में अब तक लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। पहाड़ की चोटी पर लोगों के बैठने के लिए शेड निर्माण, मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ के बीच से सीढ़ीनुमा कच्चे रास्ते का निर्माण, औषधीय पौधों का रोपण, हैंडपंप की स्थापना, आसपास के परिसर की साज-सज्जा आदि कार्य किए जा चुके हैं। बीते महीनों एक दंतैल हाथी कई दिनों तक विभाग के इको लैब के पास डेरा जमाए हुए थे। उसने ही इस स्थान पर सारी व्यवस्थाओं को तहस-नहस किया है।

जंगल सफारी व घुड़सवारी की होनी थी पूरी व्यवस्था
यहां जंगली जानवरों की सफारी विकसित की जानी थी। पर्यटकों के लिए घुड़सवारी की व्यवस्था की जानी थी। औषधीय पौधों की पहचान और उसे और विकसित करना भी इसकी कार्ययोजना में जुड़ी थी। इको लैब में विभिन्न वन्य प्राणियों का संरक्षण किया जाना भी इसके स्थापित करने का उद्देश्य था। इस क्षेत्र में हाथी के साथ ही खरगोश, लकड़बघ्घा, कोटरी, हिरन,मोर, सियार, जंगली सूअर, जंगली कुत्ता, हिरन, भालू, विभिन्न पक्षियों बड़ी संख्या में हैं। इन वन्य प्राणियों के लिए यहां अनुकूल वातावरण निर्मित किया जा रहा है, जिससे यहां पानी, आवश्यक आहार सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।

जंगल के 5 किलोमीटर दायरे में विकसित किया जा रहा इको लैब हो गया बर्बाद
जिले में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने और पर्यावरण को संरक्षण देने के लिए भैरव पहाड़ के 5 किलोमीटर के दायरे को घेरकर आदर्श ग्राम सोगड़ा के जंगल में इको लैब स्थापित किया जा रहा है। जिससे इस क्षेत्र का संरक्षण करके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सके। जशपुर क्षेत्र में जंगल सफारी के साथ ही कई अन्य विशेषताओं को जोड़े हुए जशपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए अनूठा क्षेत्र विकसित करने के उद्देश्य से काम शुरू किया गया था, जिसमें वन औषधि, वन्य प्राणियों के साथ शोध के पर्याप्त विषय एक ही स्थान पर हो सके।

योजना में प्लानिंग के अनुरूप मौके पर काम ही नहीं हुआ
जशपुर जिले को विशिष्ट पहचान दिलाने की परिकल्पना से सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष संत गुरुपद संभव राम के मार्गदर्शन पर संभाग के वन विभाग के पूर्व सीसीएफ केके बिसेन के मार्गदर्शन में इको लैब की योजना तैयार की थी। भैरव पहाड़ में इको लैब तो बना फिर भी योजनाएं आधी अधूरी रह गई। इसमें पहले 11 किलोमीटर के दायरे में घेराबंदी की योजना थी, जिसे घटाकर 5 किलोमीटर कर दिया। बाद में इको लैब के अन्य कामों को रोककर भैरव पहाड़ प्रवेश द्वार पर प्राचीन जनजातियों की कला वीथिका स्थापित कर दी गई।

हाथी ने पहुंचाया नुकसान
इको लैब के पास एक दंतैल हाथी का आना-जाना लगा हुआ था। जिसकी वजह से वहां नुकसान हुआ है। अगर असामाजिक तत्व का हाथ है, तो इसका पता लगाकर एफआईआर कराया जाएगा। सभी व्यवस्थाएं फिर से दुरूस्त की जाएगी और इको लैब में अभी और भी कई काम होंगे। वैघराजों के लिए वहां सतावर के 1 लाख पौधे डेवलप किए जा रहे हैं।

जितेन्द्र उपाध्याय, डीएफओ, जशपुर