पंडरिया। नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार हरेली पूरे उल्लास पूर्वक मनाया गया।हरेली के अवसर पर किसानों ने अपने कृषि यंत्रों की सफाई की तथा बच्चे गेंड़ी चढ़ते नजर आए।नगर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में हरेली पर्व मनाया गया।यह त्यौहार मुख्य रूप से प्रकृति व किसानों से जुड़ा हुआ त्यौहार है। जिसमें किसान खेती में उपयोग होने वाले हल, बैल की तरह औजार जो खेती बड़ी में काम आते हैं,सभी की पूजा करते हैं।यह छत्तीसगढ़ का त्यौहार है, जिसे किसान परिवार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
हरेली पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है। हरेली के दिन ज्यादातर लोग अपने कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा करते हैं।वहीं मवेशियों को महुआ व गेंहूँ के आटे की लोंदी बनाकर खिलाते हैं।श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली का पर्व मनाया जाता है।इस दिन गाँव-गाँव में लुहारों की पूछ-परख बढ़ जाती है।

इस दिन लुहार हर घर के मुख्य द्वार पर कील लगाते हैं।वहीं नीम की पत्ती लगाकर व घरों के चौखट में आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं।हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं।
नारियल फेंकते नजर आये लोग-नगर में युवको की टोली सुबह से नारियल फेंककर शर्त लागाते नजर आए।परंपरा के अनुरूप लोग हरेली पर नारियल फेंक कर शर्त लगाते दिखाई पड़े।बस स्टैंड,लोरमी मार्ग,मैनपुरा सहित कई मोहल्लों में लोग नारियल फेंककर शर्त लगाते दिखाई पड़े।वहीं नगर में मुर्गा व मांस दुकानों में लोगों की भारी भीड़ नजर आई।
