आशीष दास
कोंडागांव/बोरगांव । हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का वर्ष का सबसे पहला त्यौहार है , जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचित कराता है। हरेली का मतलब हरियाली होता है , जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है ।
प्रति वर्ष की भांति क्षेत्र में आज भी हरेली त्योहार धुमधाम मनाया जाएगा। इसकी तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो चुका था।
हरेली मुख्यतः खेती – किसानी से जुड़ा पर्व है । इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ – सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा – अर्चना करते हैं । घर में महिलाएं तरह – तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं । हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं वहीं युवा वर्ग आपस में कई प्रतियोगिता करते हैं, आज के दिन युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा बीते साढ़े तीन वर्षों के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के क्रम में स्थानीय तीज – त्यौहारों पर भी अब सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं । इनमें हरेली तिहार भी शामिल है । जिन अन्य लोक पर्वों पर सार्वजनिक अवकाश दिए जाते है – तीजा , मां कर्मा जयंती , मां शाकंभरी जयंती ( छेरछेरा ) , विश्व आदिवासी दिवस और छठ । अब राज्य में इन तीज – त्यौहारों को व्यापक स्तर प मनाया जाता है , जिसमें शासन भी भागीदारी बनता है । पर्वों के दौरान महत्वपूर्ण शासकीय आयोजन होते है तथा महत्वपूर्ण शासकीय घोषणाएं भी की जाती है । वर्ष 2020 में हरेली पर्व के ही दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की थी जो केवल 02 वर्षों में अपनी सफलता को लेकर अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गई है । इस योजना का देश के अनेक राज्यों द्वारा अनुसरण किया जा रहा है । आगामी हरेली तिहार 28 जुलाई से इस योजना में और विस्तार करते हुए अब गोबर के साथ – साथ गोमूत्र खरीदी करने की भी निर्णय लिया गया है।