छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के बैनर तले जिले के सैकड़ो डॉक्टर, स्टॉफ नर्स ,स्वास्थ्य संयोजक महिला, पुरुष ,डेंटल चिकित्सक,मेडिकल ऑफिसर्स बड़ी संख्या में एस्मा लागू होने के पश्चात भी अनिश्चितकालीन हड़ताल में चले गए हैं जिसके कारण जिले के शासकीय संस्थाओं में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं प्राप्त जानकारी अनुसार जिले के सैकड़ो अधिकारी और कर्मचारी जिसमे डॉक्टर की शामिल है बड़ी संख्या में इस हड़ताल में शामिल है जिसके कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल में मरीजो को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है ।

प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा व्यवस्था बनाने की बात कही जा रही है लेकिन इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर और नर्स एक साथ स्ट्राइक में जाने के कारण मरीज को उपचार में दिक्कत हो रही है वही कई ऑपरेशंस को भी टालने पड़ गए हैं इसके अलावा मैदानी स्तर पर भी इसका असर दिख रहा है जहां पर मैदानी स्तर पर मिशन इंद्रधनुष अभियान एवं नियमित टीकाकरण जिसमें गर्भवती महिलाओं की जांच निदान उपचार एवं टीकाकरण, बच्चों का टीकाकरण एवं प्रसव पूर्व स्वास्थ्य एवं प्रसव पश्चात जांच सलाह के कार्य बुरी तरह प्रभावित है क्योंकि उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर से मैदानी स्तर पर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले नियमित कर्मचारी ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला पुरुष सुपरवाइजर बड़ी संख्या में हड़ताल में शामिल है।

हड़ताल में शामिल अधिकारी कर्मचारियों ने आज अपनी मांगों के संबंध धरना स्थल से कलेक्टोरेट तक रैली निकालकर अपनी मांगों के संबंध अपनी आवाज बुलंद की और मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। हेल्थ फेडरेशन के जिला संयोजक पंकज राठौर ,सीडा की जिलाध्यक्ष डॉ विनीता ध्रुवे एवं नर्सिंग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष इंदु उइके ने संयुक्त रूप से बताया कि उनकी प्रमुख मांग ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला, पुरुष एवं नर्सिंग संवर्ग के कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करना, चिकित्सकों के वेतनमान स्टाइपेंड एवं भत्ते ,माननीय मुख्यमंत्री के घोषणा अनुरूप कोरोना काल में सेवा देने वाले चिकित्सीय अमले को विशेष कोरोना भत्ता देने की मांग शामिल है इसके अलावा अतिरिक्त कार्य दिवस के वेतन भुगतान, आईपीएचएस के तहत सेटअप की स्वीकृति एवं भर्ती साथ ही साथ लगातार चिकित्सा स्टाफ पर हिंसात्मक गतिविधियों पर रोक लगाने तथा हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोगों के ऊपर संस्थागत एफआईआर करवाने तथा प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थाओं में गार्ड की नियुक्ति करने आदि की मांग शामिल है।