Hit And Run Law: हिट एंड रन कानून में क्या बदला, क्यों सड़क पर उतरे ड्राइवर, बदलाव के पीछे की वजह क्या?

साभार . अमर उजाला

केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून पर देशभर में बवाल खड़ा हो गया है। हाल ही में कानून में किए गए संशोधन का देशभर में चक्काजाम कर विरोध हो रहा है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते हाहाकार मचा हुआ है। पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं।

पहले जानते हैं कि हिट एन्ड रन होता क्या है?
हिट एंड रन के मामले सड़क दुर्घटना से जुड़े होते हैं। हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर भाग जाना। ऐसे में सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव के कारण दोषियों को पकड़ना और सजा देना बहुत मुश्किल हो जाता है।

इस पर नया नियम क्या आया है?
जिस नियम को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है वह हाल ही में संसद से पारित तीन नए कानून का हिस्सा है। दरअसल, आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है। यह धारा लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करती है।

धारा 104(1) कहती है,’जो कोई भी बिना सोचे-समझे या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।’

धारा 104(2) उल्लेख करती है, ‘जो कोई भी लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आता है और घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता है, उसे किसी भी अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी देना होगा।’

पहले हिट एंड रन का कानून क्या था?
भारत में हिट एंड रन के मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विशेष रूप से दंडनीय नहीं हैं। हालांकि, जब हिट एंड रन मामले का सवाल उठता है तो धारा 279, 304ए और 338 सामने आती हैं।

धारा 279 लापरवाह ड्राइविंग की परिभाषा और सजा का प्रावधान करती है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इतनी तेजी से या लापरवाही से वाहन चलाता है कि इससे मानव जीवन को खतरा होता है, या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या चोट लगने की आशंका होती है, तो उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है या एक हजार रुपए या दोनों तक बढ़ाया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 304ए में लापरवाही से मौत के लिए सजा का प्रावधान है। यह आईपीसी के तहत एक विशेष प्रावधान है और यह धारा सीधे हिट एंड रन मामलों पर लागू होती है जिसके चलते पीड़ितों की मृत्यु हो जाती है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी लापरवाही से किए गए किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, तो उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

धारा 338 उस स्थिति में सजा का प्रावधान करती है जब पीड़ित की मृत्यु नहीं हुई हो लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी जल्दबाजी या लापरवाही से काम करके किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाएगा, उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा