कांग्रेस की सत्ता पलटते ही,रसुखदार ठेकेदार केएलए की बढ़ती मुसीबतें ,पंडरिया विधायक भावना की शिकायत पर करोड़ों के सड़क निर्माण कार्यों की होगी जांच दीपांकर खोबरागड़े

रायपुर//राजनांदगांव
छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे ताकतवर ठेकेदारों मे अपनी उपस्थिति पिछले पांच वर्षो की फेहरिस्त मे बना कर रखने वाले ठेकेदार की मुसीबतें कांग्रेस की सत्ता पलटते ही बढ़ने लगी है। कांग्रेस की सरकार में चौंहू और सड़कों का जाल बिछाने की जिम्मेदारी लेने वाले और सरकारी विभागों में पहचान इस कदर की दूसरे ठेकेदार यह महसूस करने विवश थे की “हम जहां खड़े होते है लाइन वही से शुरू होती है” और इस डायलाग के अनुरूप रसूखदार ठेकेदार का जलवा भी वैसे ही था। बात कर रहे हैं कवर्धा के सबसे ताकतवर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले ठेकेदार कन्हैया अग्रवाल की जिनकी फर्मों को इतना काम दिया गया की, चारों तरफ सड़को के कामों मे इन्ही ठेकेदारों और उनके पेटी ठेकेदारों के एसोसिएट्स की बाढ़ सी आ गई ! वही निर्माण कार्यों में इस कदर लापरवाही की सड़कों की तकनीकी खामियों को उजागर करने अधिकारियों के हाथ पैर कांपने लगा गए थे, यहां तक खनिज संसाधनों का दोहन भी बेदर्दी से किया गया मोहला मानपुर नए जिले के निर्माण कार्यों की सड़कों की बात करें या भानप्रतापपुर कच्चे सड़क की बात करें या कबीरधाम पंडरिया राष्ट्रीय राजमार्ग सड़को की चारों तरफ सिर्फ एक ही ठेकेदार के नाम की तूती बोलती रही है। सरकार बदलते ही ठेकेदार की मुसीबत बढ़ने लगी है पंडरिया की नवनिर्वाचित विधायक भावना बोहरा ने तो क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संभालते ही सबसे पहले पौंडी, पांडातराई पंडरिया एनएच 130ए सड़क के गुणवत्ता कार्य मे विलंब पर सवाल उठाया है और स्थरहीन होने के वजह से जांच कर आवश्यक कार्यवाही को लेकर बकायदा जिला कलेक्टर कबीरधाम ने मुख्य अभियंता को पत्र प्रेषित कर गुणवत्ताहीन सड़को पर बड़ी कार्यवाही चाही है दूसरी ओर भानप्रतापपुर मे भी चल रहे ठेकेदार के लापरवाहीपूर्वक कार्यों से आक्रोशित स्थानीय नेताओं ने ठेकेदार का पुतला जलाने का अल्टिमेटम भी जारी करने की खबर है। वही कन्हैया अग्रवाल के कामों को देखा जाए तो अनेकों गड़बड़ियां सामने आएगी आदमाबाद घोटिया डौंडी बालोद के कार्यों की समय सीमा खत्म भी हो गई है बावजूद लापरवाही का आलम जारी है ऐसे मे ठेकेदार कन्हैया अग्रवाल के किए गए कामों की गुणवत्ता जांच करने और स्वीकृत कार्य आदेश के नियमों की उड़ाते धज्जियां की सूक्ष्म जांच भी अति आवश्यक है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस ठेकेदार की इशारे मात्र से सारा सिस्टम नाचता थिरकता था , वही पिछले सत्ता का प्रभाव हटते ही मुसीबतों की फेहरिस्त लंबी होते दिख रही है । अब देखना है कि पिछली सरकार में अपनी दमदारी दिखाने वाले ठेकेदार की मुसीबतें बढ़ती है या मुसीबत का इलाज ठेकदार ढूंढने मे कामयाब होता है यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि ज्यादातर ठेकेदार कहीं ना कहीं सत्ता बदलते ही अपना रूप बदलने में देरी नहीं करते और हर मर्ज की दवा घटा बढ़ा कर देने में उस्ताद होते है।