माटी कला के सृजनकर्ताओ से मिलने थनौद पहुंचें गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, जहां कल्पनाएं लेती हैं आकार

दुर्गग्रामीण । इस वर्ष सभी त्योहारों को लेकर उमंग और उत्साह ज़्यादा ही है , क्योंकि लोगों को कोरोना काल के दो साल के इंतज़ार के बाद उत्सव मनाने का मौका मिल रहा है. हमारे उत्सवों की शुरूआत गणेश स्थापना के श्री गणेश होता है। इस बार के इन्हीं उत्साह को देखते हुए गणेश जी की प्रतिमाओं का बाज़ार भी सज रहा है और मूर्तिकारों को अच्छी बिक्री की उम्मीद भी है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही नजदीक आ रहा है. दुर्गग्रामीण विधानसभा के ग्राम थनौद के कारीगर प्रेमचक्रधारी ,माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष बालम चक्रधारी सहित अन्य कारीगर गणेश जी की मूर्तियां बनाने में जुटे हुए हैं. रविवार को प्रदेश के गृहमंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक ताम्रध्वज साहू मूर्ति बनाने वाले कारीगरों के पास पहुंची और उनसे जाना कि इस बार क्या खास है उनकी मूर्तियां में, उनकी बनावट और गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाने के लिए उनको किस तरह का ऑर्डर मिल रहा है।

कारीगरों का कहना है कि इस बार गणेश जी की मूर्तियों की बड़ी डिमांड है. ग्राहक बड़ी संख्या में मूर्ति खरीदने आ रहे हैं. इस बार जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं. शासन के निर्देशानुसार मूर्ति बनाई जा रही है मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है मूर्तियों को रंग-बिरंगे ढंग से सजाया जा रहा है.इस दौरन मंत्री ने कारीगरों ने रास्ता ख़राब होने की जानकारी मंत्री जी को दिया जिससे बहार से आने जाने वाले को रास्ता खराब होने से असुविधा होती है इनके आग्रह के बाद तत्काल मंत्री साहू ने तत्काल ख़राब रास्ता पर डस्ट डालने की स्वीकृति प्रदान किया।

उल्लेख हो कि शिवनाथ नदी के तट पर बसा थानौद गांव वैसे तो अन्य गांव की तरफ कृषि पर निर्भर है लेकीन यह गांव एक विशेषता की वजह से पूरे छत्तीसगढ़ अंचल के साथ साथ आसपास के राज्यों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है और वह यहां की बनी मूर्तियां। गांव की ही विशेष मिट्टी से निर्मित और अपनी अद्भुत शिल्पकारी से गड़ी गई मुर्तियां , देखने सहसा जीवन्त नजर आती हैं , मानो अब तक वे बोल उठेंगे , यह कमाल है , इस गांव के हुनरमंद हाथों का जो अपनी पुश्तैनी कला को निरंतर आकृति प्रदान कर रहे हैं। अपने पुरखों से , विरासत में मिली इस कला से अब नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करने यह साधना निरंतर जारी है। इस गांव के निवासी और मिट्टी को आकृति प्रदान कर मूर्ति बनाने में सिद्धहस्त मूर्तिकार व हजारों लोगों के लिए स्वरोजगार का अवसर पैदा करने वाले, छत्तीसगढ़ शासन के माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष बालम चक्रधारी ने बताया कि मूर्ति बनाना वे अपने पुरखों से सीखे हुए हैं और बचपन से ही मूर्तियां बना रहे और अपने 5 भाईयों के साथ साथ अब तक लगभग 800 लोगों को , जिसमें न सिर्फ कुम्हार बल्कि सीखने के इच्छुक हर वर्ग के हजारों लोगों के साथ मूर्तिकला की इस साधना से जोड़ चूके है , जो आज की पीढ़ी के लिए गृह उद्योग के रूप में उनके व उनके लिए परिवार को स्वरोजगार उपल्ब्ध कराने का महत्त्वपूर्ण साधन बन चुका है। छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी इस प्रतिभा को अवसर प्रदान करते हुए और प्रदेश के उपेक्षित कुम्हारों के हित में उचित कार्ययोजना के क्रियान्वयन के लिए उन्हें माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है।