विकासखंड पंडरिया में हाइड्रोसील तथा हारनिया मरीजों की पहचान और उपचार – एक महत्वपूर्ण उपलब्धि


पंडरिया-पंडरिया ब्लाक के वनांचल क्षेत्र में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की गई है। इस क्षेत्र में किए गए गहन सर्वेक्षण के दौरान हाइड्रोसील (जलीय फिलेरिया) तथा इसके साथ ही हार्निया के मरीजों की पहचान की गई, जो इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त थे।


हाइड्रोसील एक परजीवी संक्रमण है,जो मच्छर के काटने से फैलता है। इसके मुख्य लक्षण में शरीर के किसी भी अंग में सूजन,अंडकोष एवं स्तन में पानी भर जाना,त्वचा पर दर्दनाक गांठें, साथ ही बुखार और शरीर में दर्द शामिल हैं। यह बीमारी लंबे समय तक उपचार न मिलने पर गंभीर रूप ले सकती है।ब्लाक के स्वास्थ्य कर्मियों ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इन मरीजों का इलाज शुरू किया। सभी मरीजों का परामर्श करके उन्हें जिला अस्पताल कवर्धा रेफर किया गया। जहां उनका नि:शुल्क उपचार व सर्जरी की जा सकी। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. राज के आदेश के परिपालन में एवम् विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनामिका पटेल के मार्गदर्शन में यह कार्य संपन्न हो सका ।


मरीजों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कर इन मरीजों को उच्च अधिकारियों के निर्देशन में जिला चिकित्सालय के शिवगोपाल ठाकुर के सहयोग से जिला अस्पताल भेजा गया। जहाँ सर्जन डॉ अर्पित यादव एवं अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की निगरानी में इन सभी का ईलाज व सर्जरी की जा सकी। साथ ही इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
यह अभूतपूर्व कदम विकासखंड पंडरिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि यहां पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हाइड्रोसील मरीजों का पता लगाया गया और उनका मुफ्त उपचार संभव हो पाया।

यह दुर्गम वनाचल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इन मरीजों में हार्निया के भी मरीज पाए गए जिनका ईलाज और आपरेशन जिला अस्पताल में किया गया है।
भविष्य में एम सी एच अस्पताल में इन बीमारियों का होगा मुफ्त मे आपरेशन एवं इलाज विकास खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनामिका पटेल ने बताया है कि स्वास्थ्य सुविधा को प्रत्येक घर तक लाना, पहुंचना पहला उद्देश्य है। ऐसी बीमारी एवं मरीजों को देखते हुए भविष्य में ऐसे ही व्यवस्था पंडरिया के एम.सी.एच. अस्पताल में की जा रही है।जिससे की मरीजों को दूर दूर भटकना न पड़े।साथ ही ऐसे बीमारियों का ईलाज अपने विकास खंड में ही संभव हो सके।