अशांत व अवस्थित जीवन में व्यक्ति यदि कथा व सत्संग के कुछ समय व्यतीत करें तो स्वयं का और समाज का भला हो जाए :पंडित आशीष पाठक


पंडरिया।विकासखंड के ग्राम कोलेगांव में कथा रस वर्षा श्रीमद् भागवत कथा से निकल रहे हैं। स्वर्गीय राम शरण शर्मा व उनकी पत्नी स्वर्गीय रामबाई शर्मा की स्मृति में 28 जून से भागवत कथा का श्रद्धा भक्ति का आयोजन उनके सुपूत्र दुष्यंत शर्मा व उनके परिवार के द्वारा किया गया है। आयोजन भव्य व उल्लासमय जलयात्रा,पीठपुजन किया गया। प्रारम्भ दिन में भागवत कथा का महत्व पंडित आशीष पाठक द्वारा श्रोताओं को बताया गया। अशांत व अव्यवस्थित जीवन में कथा व सत्संग के कुछ समय यदि व्यक्ति करे तो स्वयं का व समाज का भला हो जाए। मनु सतरूप की कथा संयमित व सदाचार पूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती है तो हिरण्याक्ष की उद्धार की कथा व्यक्ति को लोभ व अतिमहत्वकांक्षाओं से बचना सिखाती है।अजामिल की कथा भगवान की महिमा का प्रतिपादन करती है, हमारा जीवन भले ही दोषपूर्ण हो पर अपनी गलती से सीख लेकर अपनी उन्नति व कल्याण कर सकते हैं।प्रहलाद की कथा का संदेश तो व्यक्ति और समस्तजन दोनों के लिए कल्याणकारी है।हिरण्याक्ष ईश्वर को नहीं मानता वह भोगवादी जीव व अपने आप को सर्वस्व और सर्वशक्तिमान मानता है। वह अपना विचार व सिद्धांत अपने पुत्र प्रहलाद पर भोपना चाहता है। कोई अच्छा या बुरा विचार यदि किसी व्यक्ती तक सीमित रहे तो समाज उतना प्रभावित नहीं होता। पर व्यक्ति का विचार एक तानाशाही व्यवस्था में परिणित हो जाए तो समाज व राष्ट्र के लिए घातक होता है।भगवान नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रहलाद को बचाने एक तानाशाही व्यवस्था का अंत ही है।कथा के पांचवे दिन सूर्यवंश वर्णन के क्रम में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र के माध्यम में समाज मुख्यधारा में विलम हुए व्यक्तियों के उत्थान की कथा है। चंद्रवंश में भगवान श्री कृष्ण का अभिरभाव होता है,उनके द्वारा सामाजिक राजनीतिक बुराइयों का अंत करने वाली है। क्षेत्र के जनता अधिक से अधिक संख्या में पहुंच कर कथा का लाभ ले रहे हैं।आयोजन का समय हरि इच्छा तक जिसमें मुख्य यजमान श्रद्धा दुष्यंत शर्मा द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन रखा गया है। रात्रि कालीन रामायण मंडली के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम दिया जाता है।