गरियाबंद। चैत्र नवरात्र के पहले रविवार को दिन माता निरई का दिव्य दरबार जात्रा के रूप में भक्तों के लिए दिन भर खुला रहता है जिसमें लाखों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं । आदिकाल से माता निरई का यह दरबार केवल एक रोज के लिए भक्तों को लिए खुला रहता है बाकी दिन यहां पर लोगों का आना जाना प्रतिबंध रहता है।माता रानी यहाँ निराकार रूप में विराजमान है । जानकार बताते है की पहाड़ियों के अंदर आज भी माता रानी निरई मां अपने महल में वास करती है ।और बिना तेल, बाती के एक दिव्य अलौकिक ज्योति इन पहाड़ियों में परिक्रमा करता रहता है । जिसका का दर्शन भाग्य वालो को हो पाता है ।
साथ में माता व उनके स्थान से जुड़ी कई किस्से कहानियां भी है जो स्थानीय लोग जानते वा बताते है ।खास बात यह है की माता की पहाड़ियों में महिलाओ का पूर्ण रूप से हमेशा के लिए आना जाना प्रतिबंध हैं यहां केवल पुरुष वर्ग ही आ जा सकते हैं । वह भी केवल एक दिन गरियाबंद जिले और धमतरी जिला के पैरी नदी के किनारे बसे ग्राम पंचायत मोहेरा के पहाड़ियों में माता आदिकाल से विराजमान है । बताया जाता है कि माता के 21 बहनों में माता निरई सबसे बड़ी बहन है। खास बात यह भी है कि इस दिन लोग लाल कपड़ा पहन कर लाल टीका लगाकर मंदिर दर्शन करने नहीं जाते ।माता श्वेत रंग को ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए लोग इस दिन लाल रंग छोड़कर अन्य कपड़े पहन कर आते हैं। माता के दर्शन को छत्तीसगढ़ के कई जिलों से या कहा जाए अन्य राज्यों से भी लोग दर्शन करने पहुंचते हैं ।और इस दिन का पूरे साल इंतजार करते हैं और अपने मनोकामना पूर्ण होने पर यथाशक्ति श्रद्धा अनुसार यहा चढ़ावा चढ़ाते हैं लोगों का यहां आना रात से चालू हो जाता है और सवेरे होते होते लाखों की संख्या माता के भक्त पहुंच जाते है । और आसपास के ग्रामीण सहित समिति के लोग भी व्वस्था बनाने पहुंचते हैं माता के दर्शन के लिए पुजारी के पीछे पीछे लोग चलते जाते हैं और और जैसे माता के मुख्य पुजारी पहाड़ के ऊपर चढ़ते हैं लोगों को जनसैलाब उसके पीछे पीछे दौड़ पड़ते हैं माता के दर्शन पहले करने की होड़ में लोग अनायास पहाड़ के ऊपर चढ़ जाते हैं । इस साल भी हाल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे दर्शन कर अपनी मनोकामना मांगे ।