राजनांदगांव//सरकारी शराब दुकानों के संचालन होने के पश्चात वैध और अवैध शराब के मायने बदल गए मतलब जो सरकारी दुकानों से खरीद कर नुक्कड़ में गलियों में खुदरा बेच रहे हैं उन पर नरमी बरते जाने के संकेत दिख रहे है शहर के ही 51वार्डो की बात करे तो ऐसा कोई थाना क्षेत्र नही होगा जहां अवैध शराब बिक नहीं रही है। लगभग 250 स्थानों मे ऐसा कोई थाना क्षेत्र बचा नहीं होगा जिस क्षेत्र में शराब का कारोबार बेखौफ संचालित नहीं होता होगा नाम न छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने कहा कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश अन्य प्रांतों की शराब पर कार्यवाही किए जाने की वजह से सरकारी छत्तीसगढ़ की शराब बेचे जाने पर ज्यादा जब दबाव नहीं रहता है वह अलग बात है कि समय-समय पर मुट्ठी गरम करनी होती है तब कहीं जाकर शराब विक्रय का कार्य पर कार्यवाही या देखने को कम ही मिलती है! अधिकांशत कारवाही उन्हीं लोगों पर ज्यादातर होती है जो भ्रमण दल को नजराना देने से आनाकानी करता हो। क्या हुआ कि छत्तीसगढ़ की सरकारी शराब को खुले में बेचना वैध है और अंतर राज्य शराब वहीं अवैध माना जाने लगा है। बहर हाल ऐसा नजर आ रहा है कि सरकारी शराब अगर गली मोहल्ले में भी बिकती है तो राजस्व में बढ़ोतरी होगी शायद यही कारण है इसमें आबकारी का अमला और खाकी वर्दी समझौते के तहत थी सुकून महसूस कर रही हो।
ढाबों मे शराब हाईवे मे आसानी से उपलब्ध
हाईवे के ढाबों में ज्यादातर शराब बिक्री मांसाहारी स्थलों में ही होने की खबरे है। ऐसे ढाबे भी है जहां सिर्फ शराब बिक्री के नाम पर गंजी बर्तन कढ़ाई करछूल आदि सामानों को रख बताने का प्रयास करते हैं कि ढाबा में खान-पान का भी साईं किया जाता है । हकीकत में वैसा रहता नहीं सिर्फ दिखावा और नशे का कारोबार पुलिस के पुराने खाटी लोगों को शराब बिक्री से लेकर शहर में आपराधिक लगभग गतिविधियों की जानकारी रहती है और खास करके वह लोग जो सेवानिर्वित के बाद में पुलिस परिवार को ही अपना कुनबा मान रिटायरमेंट के पश्चात भी पुलिस की सेवा बनाम मेवा को ही अपना फर्ज समझने लगे हैं। पुलिस अब कितनी मुस्तैद होकर कार्य करती है और आबकारी विभाग इस पर अपनी कितनी सक्रियता दिखाता है यह तो समय ही बताएगा।…………..
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✍? दीपांकर खोबरागड़े
