आधुनिक समय में होलोग्राम की महत्वपूर्ण उपयोगिता एवं उसमें शोध की आवश्यकता: प्रो अंचल श्रीवास्तव

दुर्ग । शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के भौतिकी विभाग में प्राचार्य डॉ आरएन सिंह के मार्गदर्शन एवं विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा के नेतृत्व में मैटेरियल साइंस सिंथेसिस एवं कैरक्टराइजेशन पर 2 दिन की वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में विद्यार्थियों को शोध से संबंधित नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया तथा उन्होंने विद्यार्थियों के साथ परिचर्चा की साथ ही साथ विद्यार्थियों को शोध करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ इसके पश्चात विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा ने वर्कशॉप की रूपरेखा, आयोजन का उद्देश्य एवं महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाष डाला तथा विद्यार्थियों को इस वर्कशॉप से लाभान्वित होने हेतु प्रेरित किया। एनआईटी पटना में सह प्राध्यापक प्रो देव महतो के 35 से अधिक शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं। प्रोफेसर देव महतो ने पर्वोस्काइट पदार्थों की संरचना तथा इन पदार्थों को कैल्सिनेशन विधि द्वारा बनाने की प्रक्रिया को समझाया तथा पर्वोस्काईट पदार्थों की उपयोगिता और नवीनता के बारे में जानकारी प्रदान की जो विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक हैं। पर्वोस्काईट पदार्थ मे तेजी से सुधार ने उन्हें फोटोवोल्टिक दुनिया का उभरता हुआ सितारा बना दिया है, और अकादमिक समुदाय के लिए शोध में बड़ी दिलचस्पी बढ़ायी है चूंकि उनके परिचालन के तरीके अभी भी अपेक्षाकृत नए हैं, इसलिए पर्वोस्काईट के आसपास शोध के लिए बहुत अवसर हैं। अधिकांश पेरोव्स्काइट्स मेटल हलाइड्स पर आधारित हैं, और इससे आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। संभव पेरोसाइट संरचनाओं की श्रेणी का पूरी तरह से पता लगाने के लिए वर्तमान में उपलब्ध ज्ञान की तुलना में अधिक गहन ज्ञान की आवश्यकता है।


लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रो अंचल श्रीवास्तव का परिचय देते हुए डॉ सलूजा ने जानकारी दी कि प्रो श्रीवास्तव के 70 से अधिक शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं, उन्होंने भारत सरकार द्वारा 8 से अधिक परियोजनाओं को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया हैं। प्रो श्रीवास्तव के दो पेटेंट और 30 वर्ष से अधिक अध्यापन का अनुभव हैं। प्रो अंचल श्रीवास्तव ने 3डी होलोग्राम और फोटोग्राफी पर अपना रोचक व्याख्यान दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को होलोग्राम की संरचना और कार्यविधि की जानकारी दी तथा आधुनिक होलोग्राम बनाने और उसकी उपयोगिता को समझाया। 3डी होलोग्राम जटिल सामग्री को एक स्पष्ट, सरल तरीके से प्रस्तुत करने का एक आदर्श तरीका है। इस प्रक्रिया में, वे नए, पहले के अज्ञात आयामों में आगे बढ़ते हैं, जिन्हें आम तौर पर रेखाचित्रों, फोटो, वीडियो या च्वूमतच्वपदज प्रस्तुतियों का उपयोग करके नहीं पहुँचा जा सकता है। वे संभावित आयामों को सरल, आसान तरीके से जटिल जानकारी समझाने के लिए पूरी तरह से नए विकल्प खोलते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को होलोग्राम के अन्वेषक प्रो डेनिस गैबर का उदाहरण देते हुए कहा की प्रो गैबर ने प्रयोग करते समय प्रयोग से हटकर होलोग्राम की खोज की थी, अत विद्यार्थियों को नए नए विचारों के साथ प्रयोग करना चाहिए जिससे वे कुछ नया कर पाएंगे। उन्होंने होलोग्राम की आधुनिक तकनीक में प्रकाश की विभिन्न घटनाओं और महत्वपूर्ण कारकों को समझाया जिसका लाभ विद्यार्थियों को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के समस्त प्राध्यापकों,शोध और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।