दुर्ग।ग्राम बोरसीभांठा में गुरू सतनाम रावटी के धर्मसभा में गुरूद्वारा भंडारपुरीधाम से आए परमपूज्य बाबा गुरूघासीदास के छठवें वंशज धर्मगुरू नसी साहेब ने गुरूवाणी में बताया की संसार में जहाँ भी सतपुरुष पिता की शाश्वत कृपा हुई है वहाँ काम,कोध,लोभ,मोह,अहंकार,घृणा आदि विकारों का कोई स्थान नहीं होता ; वहाँ सत्य,अहिंसा,दया, करूणा,परोपकार ही विद्यमान रहता है। गिरौदपुरीधाम में जब सरकारी अमले ने लोगों और जीवजंतुओं के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के सैकड़ों जतन किये गए पर सफलता नहीं मिली तो सभी की समस्याओं को ध्यान में रखकर परमपूज्य बाबा गुरूघासीदास ने अपने अलौकिक शक्ति से वहां संजीवनी शक्ति युक्त कभी खत्म न होने वाली अक्षय अमृतकुंड को प्रकट किया। जिसका जल सदैव शुद्ध और निर्मल रहता है वहीं उसकी पवित्रता ऐसी की सतपुरुष पिता पर आस्था विश्वास पूर्वक अमृतकुंड के जल को ग्रहण कर अब तक लाखों लोग विभिन्न साध्य-असाध्य रोगों और समस्त प्रकार के व्याधियों से मुक्ति पा चुके हैं। अमृतकुंड के जल से ही आज से महज दो सौ वर्ष पूर्व परमपूज्य बाबा गुरूघासीदास ने मृत सफुरामाता व मृत बछड़े के शरीर को पुनः जीवित किया है। वहीं भीषण गर्मी में जब अमृतकुंड के आस-पास सभी ट्यूबवेल बंद पड़ जाते है और भू-जल स्तर बहुत नींचे चले जाते है तब भी 10-15 फीट गहरे अमृतकुंड में जल लबालब भरा रहता है, जिसे पूरे भारतवर्ष से इस पवित्र जल को लेने लोगों की भीड़ बारहों महीने लगी रहती है। विभिन्न वैज्ञानिकों ने बहुत शोध किया पर आज तक किसी ने गिरौदपुरी धाम के अमृतकुंड, चरणकुंड और पांचकुंड के जल के स्त्रोत का पता लगाने में असफल रहे वहीं वे तीनों स्थानों के जल के अलौकिक प्रभावों का कारण वैज्ञानिक दृष्टि से स्पष्ट कर पाने में भी असमर्थ रहे,कुछ वैज्ञानिकों ने हार मानकर सतगुरू की शक्ति को स्वीकार किया और सतपुरुष पिता की भक्ति करते हुए आध्यात्म में लीन हो गए। विश्व में विभिन्न गुरूओं,संतों, महात्माओं ने जन्म लिया और भक्ति, मुक्ति का मार्ग दिया,शास्त्र-ग्रंथ लिखा, कर्मकांड बताया पर सतनाम धर्म एक मात्र धर्म है जहाँ सतगुरू ने स्वयं लोगों को ज्ञान, भक्ति, मुक्ति सहित अमृत भी प्रदान किया, इसलिए सतनाम धर्म में आप लौकिक-अलौकिक सबकुछ सतगुरू के चरणों में ही पा सकते है उसके लिए आपको किसी अंधविश्वासों में, अंधश्रद्धाओं में तथा कर्मकांडों के आडंबरों में फंसने की आवश्यकता नहीं है और ना ही कहीं भटकने की आवश्यकता है।

- June 1, 2023