नहरों की मरम्मत नहीं होने से सिंचाई ठप किसानों ने गेहूं की फसल लेनी ही छोड़ दी

रिपोर्टर, चंद्रभान यादव

जशपुर। आखिरी छोर में टूट गई है पूरी नहर जिले में डेम तो बने हैं और डेम से नहराें के माध्यम से लगभग 35 साल तक सिंचाई भी की गई। बावजूद इसके किसान खुश नहीं हैं। क्योंकि गुल्लू हाइड्रो पावर प्लांट की मनमानी और नहरों की मरम्मत नहीं होने से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता।

इससे नाराज होकर क्षेत्र के अधिकांश किसानों ने गेहूं की फसल लेनी ही छोड़ दी है। जल संसाधन विभाग ने भी फंड नहीं मिलने पर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।

किसानों का कहना है कि बिलासपुर, चराईमारा, नारायणपुर, चारभाटी, केराडीह, रानीकोम्बो के किसान टूटी नहर की वजह से गेंहूं और सब्जी की फसल नहीं ले पा रहे हैं। इसमें गुल्लू हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट की मनमानी बड़ी वजह है, जब किसानों को पानी की आवश्यकता होती है तो पॉवर प्लांट द्वारा पानी ही नहीं छोड़ा जाता है। वहीं जब पानी की आवश्यकता नहीं होती तो डेम से बिना किसी चेतावनी के पानी छोड़ दिया जाता है।

ऐसे में किसानों की धान की फसल खराब हो जाती है। हालांकि पॉवर प्लांट के अधिकारी कहते है कि उनके द्वारा चेतावनी देकर पानी छोड़ा जाता है। दूसरी तरफ पॉवर प्लांट के अधिकारी बताते है कि नदियों के उद्गम स्थल से ही दोहन हो रहा है। पेड़ों की कटाई और अन्य वजहों से नदी का स्वरूप बिगड़ा है।

नदी में अब बरसात के बाद पानी की कमी रहती है। किसानों के ये खेत आज से तीन साल पहले इस मौसम में गेहूं की फसल से लहलहा रहे थे, जो आज सूने और सूखे पड़े हैं। जशपुर जिले की जीवनरेखा ईब नदी पर बने डेम से निकली। ईब व्यपवर्तन योजना के पानी पर गुल्लू हाइड्रो पावर प्लांट रोक रहा है।

70 के दशक में अविभाजित मध्यप्रदेश शासन जिले के किसानों की दशा सुधारने के लिए जीवनदायनी नदी ईब पर बेने बांध बनाकर किसानों द्वारा दो फसल उत्पादन दो मुख्य नहर एक एलबीसी ओर दूसरा आरबीसी का निर्माण कराया गया था। इसी नहर के माध्यम से दर्जनों पंचायत के हजारों किसानों के खेतों तक सिंचाई के माध्यम से पानी पहुंचाया गया। नहर के मेंटेनेस के अभाव की वजह से नारायणपुर और रानीकोम्बो के नहर की इतनी दुर्दशा हो जाएगी कि नहर के माध्यम से पानी सप्लाई ही बंद हो गई है।

कुनकुरी विकासखंड के इन किसानों की अब नहरों में पानी नहीं आने से इनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रहा है। वहीं मामले में किसान नेता गणेश मिश्रा का कहना है कि नहर टूटे-फूटे हैं, जिनकी मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके बाद भी नहर ठीक नहीं कर पाए हैं।

लोक सुराज, कलेक्टर जनदर्शन, सीएम जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी इस समस्या का समाधान जल्दी नहीं करने पर किसान सड़क पर उतरने की बात कह रहे हैं। टूटी-फूटी नहरों के सहारे सैकड़ों एकड़ का दावा करने वाला जल संसाधन विभाग इन दिनों कटघरे में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। यदि उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मदारी जिला प्रशासन व संबंधित विभाग की होगी।

आंकड़ों के मुताबिक जिले के 47 सिंचाई परियोजना मिलकर रबी फसल के दौरान मात्र 4245 हेक्टेयर भूमि की ही सिंचाई कर पाती है। खरीफ फसल के मुकाबले रबी फसल की सिंचाई का औसत चार गुना से भी कम है। किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 47 डेम मौजूद है। इन डेमों से 21837 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जाती है। डेमों से होने वाली सिंचाई में सबसे अधिक सिंचाई खरीफ फसल के दौरान की जाती है।