विश्वरूप परमात्मा ही मानवता से पहचान कराते हैं — चैतन्य महाराज जी

संजय साहू अंडा। आध्यात्मिक विज्ञान सम्मेलन का प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें अखिल भारतीय केंद्रीय आध्यात्मिक विज्ञान शाला ओंकारेश्वर के अंतर्गत संचालित विज्ञान शाला उपेकेंद्र चिंगरी में जगतगुरु परम पूज्य स्वामी श्री उमाशंकर चैतन्य जी के श्री मुख से सर्वांग योग पाठ के पश्चात विश्व रूप दर्शन की योग युक्ति प्रयोग पद्धति से विज्ञान की प्रक्रिया द्वारा विश्व रूप दर्शन का प्रत्यक्ष बोध कराया गया उपस्थित जनमानस को संबोधित करते हुए स्वामी जी द्वारा भवसागर अर्थात ब्रह्म का सागर श्री कृष्ण द्वारा गीता उपदेश के माध्यम से अर्जुन के भ्रम को दूर किया गया विश्व रूप परमात्मा स्वयंभू है सनातन है अनादि है सर्वव्यापी है इसे एक व्यक्ति या एक देश के रूप में ही देखना चाहते हैं यही जीव का भूल है परमात्मा सर्व रूप है और चराचर सृष्टि के रूप में दिखने वाला विश्व ही विश्व रूप परमात्मा है परमात्मा सब में है और सब परमात्मा में है हनुमान जी पहले मुलाकात में हीं भगवान के इसी रूप को पहचान गए क्योंकि भगवान राम ने हनुमान जी को इसी विश्व रूप का पहचान कर दिया “प्रभु पहचान परेऊ हरि चरना 100 सो सुख उमा जाए नहीं वरना” पहचान कराने के बाद अर्जुन का धर्म भी व्यापक हो गया और वह कुल धर्म , जाति धर्म से ऊपर उठकर सनातन विश्व धर्म में उनका दृढ़ निश्चय हो गया। स्वामी जी द्वारा मनुष्य को अर्थ ,धर्म ,काम, मोक्ष जीते जी प्राप्त होता है या मरने के बाद होता है कि भर्म को दूर किया गया अंतःकरण में अज्ञान रूपी गांठ खुल जाने के बाद संसय भ्रम से मुक्ति मिल जाता है और जीव भ्र्म मुक्त हो जाने के बाद अखंड सुख शांति प्राप्त होता है । कार्यक्रम में शिक्षक मूलचंद साहू , भोलाराम साहू , डॉक्टर के एल दिल्लीवार ,मालिक राम साहू , मोहनलाल देशमुख ,संतोष पटेल , बी.एन. भारद्वाज , अलख राम साहू , सरपँच ग्राम पंचायत चिंगरी पुष्पा देवी देशमुख, रेखलाल पटेल , रघुनाथ साहू , अर्जुन सिंह साहू , आनंद बघेल, सुरेश साहू , मोहनलाल सेन, के समस्त नागरिक गण और आसपास के गांव से आए हुए विज्ञानी मुमुक्षु उपस्थित थे।