भिलाई। रविवार 16 जुलाई को छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के तत्वावधान में भिलाई के जेपी चौक सतनाम भवन से लगातार छठवीं बार (कोरोना काल को छोड़कर) जबर हरेली रैली निकलेगी । इस रैली में हजारों लोक कलाकार एवं लाखों छत्तीसगढ़ियाजन अपने प्रथम त्यौहार हरेली को उल्लासमय वातावरण में मनाते चलेंगे । सुसज्जित बैलगाड़ियों का जूलूस, बस्तरिहा रेला-पाटा, गेड़ी, पंथी, करमा, सुवा, राऊत नाचा, डंडा नृत्य करते हुए लोग प्रकृति के साथ-साथ अपनी मूल संस्कृति को बचा कर रखने का संदेश देते चलेंगे । मूल-देवता बूढ़ादेव, छत्तीसगढ़ महतारी और छत्तीसगढ़िया महापुरुषों की झांकी रैली के विशेष आकर्षण होंगे । साथ में छत्तीसगढ़ के मार्शल आर्ट “अखाड़ा” के रुप में छत्तीसगढ़ियों का शौर्य प्रदर्शन होगा । विशाल जन-समूह के साथ चलती रैली आगे जाकर रिसाली दशहरा मैदान के महासमुद्र में समाहित हो जाएगी । वहां हल एवं कृषि औजारों की पूजा होगी, छत्तीसगढ़ महतारी की महा आरती होगी तत्पश्चात छत्तीसगढ़ियों की दशा-दिशा पर विमर्श के बाद विशाल मंच छत्तीसगढ़ के लोक कला पुरोधा दीपक चंद्राकर को उनके कार्यक्रम “लोकरंग अरजुन्दा” के मंचन के लिये सौंप दिया जाएगा ।
आयोजकों ने इस आयोजन का उद्देश्य समझाते हुए कहा कि “जबर हरेली रैली” छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति को जिंदा रखने का एक सांस्कृतिक आंदोलन है । यह लगातार हो रहे आयातित बाहरी सांस्कृतिक आक्रमणों से छत्तीसगढ़ियापन को बचाने का एक सार्वजनिक संकल्प है । हरेली प्रकृति की संरक्षा का महापर्व है । प्रदेश की खेती जमीन, हसदेव जैसे जंगल, नंदीराज जैसे पहाड़ों और सैकड़ों प्राकृतिक जलस्रोतों को आज खदानों और उद्योग दानवों को भेंट चढ़ाया जा रहा है । छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने प्रदेश वासियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों के द्वारा एकजुट होकर हम अपने भटके हुए नीति-निर्धारकों को उनकी गलत नीतियों में तत्काल सुधार कर लेने के लिये एक कड़ा संदेश दे सकते हैं ।

- July 14, 2023