भिलाई । प्रख्यात आलोचक मैनेजर पाण्डेय के निधन से देश के साहित्यिक, शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में शोक की लहर छा गई है। जन संस्कृति मंच भिलाई द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देने शोक सभा का आयोजन हिन्दी विभाग कल्याण महाविद्यालय भिलाई में किया गया। जसम भिलाई के संरक्षक आलोचक प्रो. सियाराम शर्मा ने कहा कि मैनेजर पाण्डेय की आलोचना दृष्टि को विकसित करने में सातवें दशक के किसान विद्रोह की बहुत बड़ी भूमिका थी। उनके समग्र आलोचना कर्म में किसान दृष्टि महत्वपूर्ण है। मैनेजर पाण्डेय का मानना था कि हमारे यहां उपन्यास किसान जीवन से जुड़कर विकसित हुआ है। वे शुरू से ही दलित लेखन, स्त्री लेखन और आदिवासी लेखन के साथ खड़े रहे। चर्चित कथाकार कैलाश बनवासी ने कहा कि वे जमीनी साहित्य के पैरोकार आलोचक थे।प्रो. विनोद शर्मा ने मैनेजर पाण्डेय को याद करते हुए कहा कि हिन्दी आलोचना का बड़ा स्तंभ गिर गया।वासुकि प्रसाद उन्मत्त ने कविता के माध्यम से मैनेजर पाण्डेय को श्रद्धांजलि दी। शोक सभा में उपन्यासकार लोकबाबू, शायर मुमताज, डॉ. अभिषेक पटेल, एन पापा राव, वरि. कवि परमेश्वर वैष्णव, सुरेश वाहने, विद्याभूषण, अशोक तिवारी ने भी मैनेजर पाण्डेय के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।शोक सभा का संचालन युवा कवि अंजन कुमार ने किया। शोक सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखकर मैनेजर पाण्डेय को श्रद्धांजलि दी गई। शोक सभा में जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ व हिन्दी विभाग कल्याण महाविद्यालय के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।

- November 9, 2022