रायपुर।बीजापुर के पत्रकार मनोज चंद्राकर की हत्या के मामले को लेकर एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। जहां टीम ने बताया कि आरोपी ठेकेदार के द्वारा हत्या की प्लानिंग पहले ही बना ली थी। जिसके चलते हत्या के 4 दिन पहले ही लाखों रुपये निकाले गए। साथ ही आरोपियों के द्वारा इस घटना को रूम नंबर 11 में इस घटना को अंजाम देने के बाद शव को सैप्टिक टैंक में छुपा दिया गया था।
एक जनवरी से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्या मामले में एसआईटी पुलिस ने 6 पन्नों का प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि जिस जगह से मुकेश का शव बरामद किया गया था। उस स्थान को अब भी सील रखा गया है। एसआईटी टीम ने सभी पूछताछ, तलाशी, वीडियोग्राफी कराई है। जिसे आने वाले दिनों में सबूत के तौर में इस्तेमाल किया जा सके।

जांच के दौरान पुलिस ने 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। पुलिस को कुछ अति महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं, जिसे केस डायरी में एसआईटी टीम द्वारा किया जा रहा है। जांच के दौरान आरोपी के मोबाइल नंबर में बहुत सा डाटा डिलिट किया गया। सभी के मोबाइल को लैब में भेजा गया है। जहां से फोन की जांच परीक्षण की जा रही है। पुलिस ने घटनास्थल से जब्त सबूत व आरोपियों द्वारा बरामद कराए गये आला जरब, कपड़े व अन्य सबूतों को भी फोरेंसिक जांच कराने के लिए भेजा है।
सुरेश चन्द्राकर व उससे जुड़े उसके संबंधियों के सम्पत्ति की जानकारी भी ली जा रही है। बैंकों से मिले जानकारी के अनुसार सुरेश चन्द्राकर ने अपने बैंक खाते से 27 दिसम्बर घटना से 4 दिन पूर्व ही एक बड़ी रकम निकाली। जिसके बारे में एसआईटी द्वारा पूछताछ की जा रही है। पुलिस की अब तक जांच के दौरान मुकेश चन्द्राकर की हत्या की साजिश सुरेश चन्द्राकर ने अपने भाईयो के साथ मिलकर 4-5 दिन पूर्व ही बना ली थी। आरोपी रितेश और महेन्द्र रामटेके के द्वारा 3 जनवरी की रात को ही घटना को अंजाम दिया।सभी चारों आरोपियों को जिला जेल भेजा गया है। साथ ही 15 दिनों का न्यायिक रिमांड ली गई है।
जांच के दौरान पुलिस ने आरोपियों से करीब 4 फोर कीलर मिक्सर मशीन जब्त की है। साथ ही 100 से अधिक सीडीआर लेकर उनका जांच की। इस मामले को हल करने के लिए महाराष्ट्र, तेंलगाना और ओड़िशा पुलिस की भी मदद ली गई। इस हत्या की वजह मुकेश चन्द्राकर द्वारा ठेकेदार के द्वारा बनाये जा रहे सड़क निर्माण को लेकर खबर बनाई। जिससे ठेकेदार के कामों की जांच शुरू हो गई थी।
इस बात से नाराज होकर सुरेश चन्द्राकर के साथ मिलकर उसकी हत्या की साजिश रची। जिसे 1 जनवरी को रितेश चन्द्राकर व महेन्द्र रामटेके जो इनका सुपरवाइजर ने मिलकर बाड़े के कमरा नंबर 11 में अंजाम दिया। दिनेश चन्द्राकर ने घटना के बाद रात में ही आकर सबूत छुपाने व इनको फरार करने में सुरेश चन्द्राकर की पहले से ही योजना बनाई थी, सुरेश चन्द्राकर चाह कर अपने आप को घटनास्थल से बाहर रखा था। जिससे कि स्वयं उस पर संदेह न हो, आरोपियों ने मुकेश की हत्या करने के बाद लोहे की रॉड व घटना से जुड़े सबूतों को नेलसनार नदी के किनारे जंगल में छुपा रखा था।
साथ ही आरोपियों ने मुकेश चन्द्राकर के दो मोबाइल को तुमनार नदी तक चालू रखा, जिससे कि पुलिस की जांच पड़ताल में पुलिस को आखिरी लोकेशन तुमनार नदी की ओर दिखायी दे। वहां जाकर पत्थरों से मोबाइल फोन को चकनाचूर कर नदी में फेंक दिया। जिसे गोताखोरों से तलाश किया जा रहा है। लेकिन अब भी फोन बरामद नही हुआ है। घटना के बाद से फरार चल रहे ठेकेदार को चारों टीमों ने 48 घंटे तक लगातार बाहर रहकर सर्च ऑपरेशन करके 5 जनवरी की देर रात सुरेश चन्द्राकर को हैदराबाद से हिरासत में लेने में सफलता पा ली।
जिसे 6 जनवरी को पुलिस गिरफ्तार कर न्यायालय से पुलिस रिमांड लिया गया, एफएसएल टीम जगदलपुर से भी रूम नंबर 11 एवं अन्य स्थानों की जांच की। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण सबूत पुलिस को मिले है, घटनास्थल अब भी सील रखा गया है। हर पहलुओं की बारीकी से विवेचना की जा रही है। दिनेश से पूछताछ में बताया कि उसका भाई रितेश और महेन्द्र रामटेके मुकेश की रॉड मारकर हत्या कर दी। उसके बाद दिनेश ने घटना में रॉड और कपड़े मोबाइल वगैरह ठिकाने लगाने में मदद की। बाड़े में कुल 17 लेबर कमरे बने हुए थे, जिन पर ताले लगे थे, बाड़े के सभी कमरों को खुलवाकर चेक किया गया, वहां कुछ भी नहीं मिला, लेकिन जब सैप्टिक टैंक को तोड़ा गया तो उस टंकी से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया गया, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को जेल भेज दिया।