पाटन। छ.ग. कोटवारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा देते हुए राजस्व विभाग का शासकीय कर्मचारी घोषित करने तथा मालगुजारी माफी जमीन का मालिकाना हक वापस देने की मांग को लेकर आज पाटन ब्लॉक के कोटवारों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद एसडीएम पाटन के ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अपनी मांगो की जानकारी देते हुवे लिखा है है भूपेश है तो भरोसा है, , ,।

धरना प्रदर्शन में दिन भर आज कोटवार संघ के पदाधिकारियों ने अपनी बाते रखी। कोटवारों की मांग है की कोटवार आजादी के पूर्व से पीढ़ी दर पीढ़ी ग्रामीण स्तर में रहकर अपनी सेवाएं देते आ हर है। परन्तु सभी विभागों की चाकिरी करने के बाद भी कोटवारों को शासकीय कर्मचारी का दर्जा नहीं मिल पाया है । लम्बे अवधी तक सेवा देने के बाद सेवा निवृत्त होने पर कोटवारों को पेंशन, ग्रेज्यूटी की सुविध नहीं मिल पाती, नाम मात्र के मानदेय से अपने परिवार का गुजर बसर करने में कोटवारों को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैस निकटवर्ती राज्यों में कोटवारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा देकर उन्हें सम्मान जनक वेतन देने के अलावा अन्य सुविधाएँ भी दी जा रही है परन्तु छत्तीसगढ़ जैसे सम्पन्न राज्य में कोटवारों की स्थिति बहुत ही दयनीय है।

मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सोपे ज्ञापन में लिखा है कि प्रदेश के कोटवारों को नियमित करते हुए उन्हे राजस्व विभाग का शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए। 23 फरवरी 2019 को कोटवारों के प्रांतीय सम्मेलन पाटन में मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया था कि स्वतंत्रता के पूर्व (1950 के पूर्व) भू.पू. मालगुजारों द्वारा दी गई जमीन जो आपके राजस्व मंत्रीत्व शासन काल में भूमिस्वामी हक में दिया गया था और उक्त जमीन वापस छीन ली गई है तो विधिवत उसे कोटवारों के हक दे दिया जाएगा, परन्तु आज पर्यन्त उस पर अमल नहीं हो पाया बल्कि उल्टे कोटवारों के नाम राजस्व अभिलेखों से विलुप्त कर उसे शासकीय भूमि दर्ज किया जा रहा है।
कोटवारों ने मांग किया है की भू राजस्व संहिता में वांछित संशोधन करते हुये कोटवारों को मालगुजारों से प्रदत्त भूमि पर मालिकाना हक दिलाये जाने के संबंध में उचित कार्यवाही की जाए।