आशीष दास
कोंडागांव/बोरगांव । कृषि विज्ञान केन्द्र, कोंडागांव के द्वारा ग्रामीण युवाओ को कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाय) के तहत “मछलीपालन एवं प्रबंधन” विषय पर 7 दिवसीय प्रशिक्षण दिनांक 16 से 22 दिसम्बर 2021 तक आयोजित किया गया, जिसमे, जिले के 15 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह प्रमुख एवं मछली पालन विशेषज्ञ – डॉ ओमप्रकाश ने 7 दिवसीय प्रशिक्षण के तहत छ: दिवस सैद्धांतिक एवं एक दिवस प्रायोगिक बिन्दुओं का अध्ययन करवाया । प्रशिक्षण के सैद्धांतिक पाठ्यक्रम के माध्यम से तालाब के निर्माण से लेकर मछली बिक्री तक प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें तालाब का आकार–प्रकार, मछली बीज संचयन से पूर्व तालाब की तैयारी, मछली प्रजातियों की पहचान एवं पालने योग्य मछलियों का चयन, अवांछित (खरपतवार एवं मांसाहारी) मछलियों की पहचान एवं उन्मूलन, मछली बीज की विभिन्न अवस्थाएँ, मछली बीज संचयन के समय की जाने वाली देखरेख, मत्स्य बीज संचयन के पश्चात किये जाने वाले कार्य जैसे की प्राकृतिक भोजन के रूप में प्लवकों को बढाने के लिए खाद एवं उर्वरकीकरण करना । तालाब में प्राणवायु (ऑक्सीजन) का आकलन, ऑक्सीजन के स्तर को बढाने के उपाय । मत्स्य पालन हेतु चुने का महत्व एवं डालने के तरीके के साथ–साथ जल के पी.एच. मान को उदासीन से हल्का क्षारीय बनाये रखने में चुना के उपयोग के बारे में बताया । मत्स्य पालन के की एकल प्रजाति मछलीपालन (मोनोकल्चर) – जिसमे मुख्यत: पंगास एवं तिलापिया को संचय किया जाता है एवं मिश्रित प्रजाति मछलीपालन (पॉलीकल्चर) – जिसमे मुख्यत: दो से ज्यादा प्रजातियों को एक साथ उचित अनुपात में संचय करने के बारे में बताया गया । मछली उत्पादन के दौरान जल की गुणवत्ता एवं मछलियों में होने वाली बीमारियों, मछलियों को दिए जाने वाले मत्स्य आहार के प्रकार, परिपूरक आहार की मात्रा एवं मत्स्य आहार देने की विधियों के बारे में सिखाया गया । प्रशिक्षण के माध्यम से मछलियों में होने वाली बिमारियों की पहचान एवं उनके निदान की भी जानकारी दी गयी।
कृषि विज्ञान केन्द्र, कोंडागांव के वैज्ञानिक डॉ. बिंदिया पैंकरा ने तालाब निर्माण के लिए मिटटी के प्रकार, उपयुक्तता एवं मिटटी की जलधारण क्षमता के बारे में बताया तथा डॉ. हितेश मिश्रा ने मत्स्यपालन के साथ समन्वित खेती को बढ़ावा देने वाले घटकों के बारे में जानकारी दी ।
इस कार्यक्रम के प्रायोगिक अध्ययन के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को मछली पालन विभाग, जिला – कोंडागांव के मत्स्य बीज प्रक्षेत्र, कोपाबेड़ा का भ्रमण करवाया गया है जहाँ सहायक संचालक मछलीपालन एमएस कमल एवं सहायक मत्स्य अधिकारी योगेश देवांगन ने इको फ्रेंडली कार्प हैचरी के द्वारा कार्प प्रजातियों के प्रजनन, देशी मागुर व् सिंघी मछलीयों के प्रजनन की विधियों के बारे में बताने के साथ-साथ मत्स्य तालाबों में सैंपलिंग से मत्स्य प्रजातियों की पहचान प्रशिक्षणार्थियों से करवाई। तालाब में जलीय गुणवत्ता को दर्शाने वाले मुख्य घटक जैसे पीएच ऑक्सीजन, अमोनिया, नाइट्राइट, नाइट्रेट इत्यादि का मापन पोर्टेबल टेस्टिंग किट से प्रशिक्षणार्थियों ने स्वयं आंकलन कर सिखा । मत्स्य प्रक्षेत्र, कोपाबेड़ा में तालाब की संरचना, तालाब के प्रबंधन के बारे में भी जानकारी दी गयी ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर मुख्य एवं विशिष्ठ अतिथियों के रूप में गणेश दुग्गा, अध्यक्ष नगर पंचायत, सुकलाल मरकाम, जनपद उपाध्यक्ष, एवं अन्य गणमान्य अतिथियों में पिंकी दास, जनपद, मिनोति व्यापारी, उपसरपंच, मंजू व्यापारी, उपसरपंच, विश्वजीत दास, उत्तम कुमार नेताम, सुशांत व्यापारी एवं विश्वजीत व्यापारी की उपस्थिति रही। मत्स्य पालन विभाग से सहायक संचालक मछलीपालन एमएस कमल एवं सहायक मत्स्य अधिकारी योगेश देवांगन की भी कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका रही ।
अतिथिगणों को प्रशिक्षणार्थियों ने “मछलीपालन एवं प्रबंधन” विषय पर 7 दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सीखे वैज्ञानिक तथ्यों को चार्ट के माध्यम से बताया की कैसे मछलीपालन को एक उचित आमदनी का व्यवसाय बना सकते है, साथ ही कम लागत और उचित प्रबंधन व बाज़ार की मांग अनुसार मत्स्य उत्पादन करने से निश्चय ही मत्स्यपालन लाभदायक हो सकता है ।
अतिथियों ने अपने उद्बोधन के माध्यम से सभी प्रशिक्षणार्थियों को मछलीपालन पालन अपनाने, इसे व्यावसायिक रूप में विकसित करने के साथ-साथ सभी सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होने व किसान क्रेडिट कार्ड से ज्यादा से ज्यादा किसानों को वित्तीय सहायता प्राप्त कर स्वयं तथा अन्य किसानों को अपने साथ जोड़कर, अपने व जिले के विकास में योगदान को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया ।
अतिथियों ने युवाओं प्रशिक्षणार्थियों के सफलतापूर्वक आंकलन के उपरांत, सभी को प्रमाण पत्र एवं जल की पारदर्शिता जाँच करने के उपकरण “सेक्की डिस्क” का वितरण करते हुवे, युवाओं को शुभकामनाएओं के साथ जिले में मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया ।
सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में केन्द्र के वैज्ञानिकों में डॉ. हितेश मिश्रा, डॉ. बिंदिया पैंकरा एवं अन्य सभी कर्मचारियों की महत्ती भूमिका रही, कार्यक्रम की समापन पर मछलीपालन विभाग के सहायक मत्स्य अधिकारी योगेश देवांगन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित किया एवं भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सक्रीयता से भाग लेने के आव्हान किया।