संसद में एक महिला आवाज के रूप में उन्होंने महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया। उनके विषय संसद के समक्ष रखे।
स्वर्गीय मिनीमाता छत्तीसगढ़ी अस्मिता के प्रतीक के रूप में रहीं। छत्तीसगढ़ से प्रथम महिला सांसद के रूप में उन्होंने जो मानदंड कायम किए और जिन आदर्शों पर चलीं। उन पर पूरी तरह अमल करने हम प्रतिबद्ध हैं।
पूज्य गुरु घासीदास जी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए सार्वजनिक जीवन में उन्होंने सबके समक्ष आदर्श रखे।
सत्य और अहिंसा के जिन सिद्धांत पर वे आगे बढ़ीं। उन पर चलते हुए अपने प्रदेश को निरंतर मजबूत बनाने की दिशा में कार्य करेंगे। आज हम समोदा में उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए हैं। आप सभी की बड़ी संख्या में उपस्थिति से यह स्पष्ट है कि हम सब उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं और निरंतर चलते रहेंगे। इस मौके पर अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी स्वर्गीय मिनी माता का पुण्य स्मरण किया तथा अपनी बात रखी।