दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया भगवान विश्वकर्मा  जयंती

भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर विधि-विधान से पूजा अर्चना किया– ठेकेदार दुखित राम देशमुख

अंडा।    दुर्ग ग्रामीण अंचलों में ग्राम अंडा, अछोटी,भरदा,कोनारी, चंदखुरी, कोलिहापुरी, भानपुरी, जंजगिरी, डौकीडीह, सिरसिदा, ओटेबंद, परसदा,डगनिया,खप्परवाड़ा, देवरी ख, गुरेदा,नाहंदा,सलौनी,विनायकपुर, आमटी, निकुम, आलबरस,भिलाई, चीचा, ओडारसकरी, मटिया सहित और अन्य गावों में भरतीय संस्कृति में शिल्पकारों के देवता के रूप में भगवान विश्वकर्मा को पूजे जाने की परंपरा आदिकाल से है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि में मशीनों के सृजन कर्ता भगवान विश्वकर्मा ही है।इसलिए उनकी जयंती के दिन मशीनों और औजारो की पूजा की जाती है उन्हें देव शिल्पी एवं अभियांत्रिकी का देवता भी कहा जाता है ।भगवान विश्वकर्मा जी को धातुओं का रचियता कहा जाता है।और साथ ही प्राचीन काल मे जितनी राजधानीया थी प्रायः सभी भगवान विश्वकर्मा जी के द्वारा ही बनाई गई है।यहां तक कि सत्युग का सवर्ग लोक त्रयता युग की लंका द्वापर की द्ववारिका,और कलयुग का हस्तिनापुर आदि विश्कर्मा द्वारा ही रचित है।स्वर्गलोक से कलयुग तक भगवान विश्कर्मा जी की रचना को देखा जा सकता है।भगवान विश्वकर्मा जी के जन्म से संबंधित एक कथा कही जाती है।कि सृष्टि के पारंभ में सर्वप्रथम नारायण आर्थत सज्ञात विष्नु आविभूर्त हुये ओर उनकी नाभि कमल से चतुर्मुख ब्रम्भा दिखाई दे रहे थे।ब्रम्हा के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तु देव हुये कहा जाता है कि धर्म की वस्तु नामक स्त्री जो दच्छ की कन्याओं में एक थी से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र थे जो शिल्प शास्त्र आदि के पर्वतक थे।उन्हीं वास्तु देव की अंगिरशी पत्नी से विश्कर्मा उत्पन्न हुये पिता की भांति विश्वकर्मा भी वास्तु कला के आदितीय आर्चय बने।भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप है।और हर रूप की अंत नहीं है।दो बाहु चार बाहु एवं दश बाहु तथा एक मुख चार मुख एवं पंच मुख भगवान विश्वकर्मा जी के मनुमय त्वष्ठा शिल्पी एवं देवज्ञ नामक पांच पुत्र है।और साथ ही यह भी यह मान्यता है कि पांचों वास्तु शिल्प की अलग अलग विद्धाओ में पारंगत है। दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र के आसपास भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना कर साथ ही औजार की पूजा अर्चना कर विधिवत भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापना की गई। तत्पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। महाराज अजेंद्र पाण्डेय के द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना विधि-विधान से किया गया। इस अवसर पर अंडा क्षेत्र के नामी ठेकेदार दुखित राम देशमुख, अमर देशमुख, एवेन्द्र चंद्राकर, अजीत चंद्राकर, शंकर ठाकुर शिक्षक, भगत देशमुख, खोरबाहरा साहू,खेमु यादव, हरिचंद,नंदु,खोमेन्द्र,मोहित,छन्नु लाल, माखन साहू,वासु साहू,नर्सिंग,राजू,तामेश्वर, कमला बाई,कुलेश्वरी,प्रमिला,रामेश्वरी,मालती,गजेन्द्र साह,तीर्थ दिल्लीवार सहित और आस पास के मजदूर लोगों ने विश्वकर्मा जंयती को बडे ही धुम धाम से मनाया गया। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति का विसर्जन आज विधि-विधान से किया जायेगा।