पंडरिया-मध्यप्रदेश के राजकीय पक्षी दूधराज(फ्लाईकेचर)पिछले सप्ताह से क्षेत्र के जंगलों में मेहमान बनकर पहुंचे हुए हैं।करीब तीन से चार माह बाद प्रजनन कर पुनः वापस लौट जाएंगे।इस बार ये पक्षी ज्यादा संख्या में पहुंचे हुए हैं।ये पक्षी घने जंगलो,बगीचों,घनी झाड़ियों में रहते हैं।यह देखने में बहुत ही सुंदर व आकर्षक होता है।इसे सुल्ताना बुलबुल व एशियन पैराडाइज़ फ्लाईकैचर नाम से भी जाना जाता है।नगर से करीब 5 किलोमीटर दूर क्रांति जलाशय के आस-पास व जंगल के भितरी भागों में पानी के आस-पास ये पक्षी बड़ी संख्या में पहुँचे हुए हैं।दूधराज पक्षी में नर पक्षी के लंबी पूंछ होती है।जिसकी लंबाई करीब 30 सेंटीमीटर तक होती है।मादा दूधराज की पूंछ छोटी होती है तथा लंबाई भी कम होती है। इस बार ये पक्षी देर से क्षेत्र में पहुँचे हैं।पहले ये मार्च महीने के अंत मे यहां पहुंच जाते थे,किन्तु इस वर्ष अप्रेल के अंतिम सप्ताह में दिखाई दे रहे हैं।ये पक्षी करीब चार माह बाद बच्चे बड़े के बाद जून के अंतिम या जुलाई के प्रथम सप्ताह में वापस मध्यप्रदेश लौट जाएंगे।
*दो रूप में दिखाई देते हैं नर पक्षी*-दूधराज नर पक्षी के दो रूप देखने को मिलते हैं।एक प्रकार के नर का रंग भूरे-केशरिया- लाल रंग का होता है,वहीं दूसरे प्रकार के नर सफेद-ग्रे रंग का होता है।बताया जाता है कि छोटे नर का रंग लाल-केशरिया होता है।जो युवा होने पर सफेद हो जाता है।यह परिवर्तन लंबे समय मे होता है।इस दौरान इसे आधा सफेद व आधा लाल -भूरा भी देखा जा सकता है।एक पक्षी का जीवन काल के दौरान रंग परिवर्तन आश्चर्यजनक है।इनका चोंच गहरा नीला व काला होता है तथा सर चमकीले काले व गहरे रंग का होता है।इसी प्रकार मादा दूधराज भूरे-लाल रंग का होता है तथा इसकी पूंछ की लंबाई छोटी होती है।यह पक्षी तेज आवाज करने वाला होता है।इसकी आवाज तीखी होती है।
*मार्च से प्रारम्भ होता है प्रजनन काल*-दूधराज पक्षी का प्रजनन काल मार्च के अंत से जुलाई तक होता है।इस दौरान ये अंडे देते हैं।एक बार में 3 से 5 अंडे देते हैं,जिसमे से करीब15से 20 दिन बाद चूजे निकलते हैं।अंडे व घोसले की सुरक्षा नर व मादा दोनों बारी-बारी से करते हैं,घोसले को सुना नहीं छोड़ते हैं।।प्रजनन के लिए ये पक्षी घोसले तैयार करते हैं।जिसे नर और मादा दोनों मिलकर तैयार करते हैं।इसका घोसला तिनकों व पेड़ों की छोटे-छोटे टहनियों से मिलकर बने होते हैं।जो एक कप के आकार के होते हैं।घोसला का प्रयोग दुबारा नहीं किया जाता है।
*किट- पतंगे इनका मुख्य भोजन*- फ्लाईकैचर दूधराज का मुख्य भोजन किट पतंगे हैं।ये किट-पतंगे,तितली,मख्खियां व अन्य कीड़ो को खाते हैं।बच्चों को भोजन कराने का कार्य नर व मादा दोनों के द्वारा किया जाता है।यह किट -पतंगों को हवा में पकड़ कर शिकार करता है।इसी वजह से इन्हें फ्लाईकेचर कहा जाता है।

- April 27, 2025
मप्र के राजकीय पक्षी दूधराज मेहमान बनकर पहुंचे।प्रजनन पश्चात वापस लौटेंगे।
- by Jyoti Verma