महाकुंभ 2025 : संगम पर सबसे बड़ा समागम,हर तरफ गूंज रहा “हर हर महादेव”

महाकुंभ 2025

इस बार महाकुंभ बेहद खास है। ग्रहों की स्थिति बेहद दुर्लभ संयोग बना रही है। 144 साल के बाद महाकुंभ में समुद्र मंथन के संयोग बन रहे हैं। बुधादित्य योग, कुंभ योग, श्रवण नक्षत्र के साथ ही सिद्धि योग में त्रिवेणी के तट पर श्रद्धालु महाकुंभ में डुबकी लगाएंगे।

बृहस्पति के 12 गोचर में चक्र पूरे होने पर लगता है महाकुंभ

प्रो. ब्रजेंद्र मिश्र ने बताया कि जब देवगुरु बृहस्पति शुक्र की राशि वृषभ में और जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं, तब देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर पड़ती है। यह काल अत्यंत पुण्यदायी होता है। जब देवगुरु बृहस्पति अपनी 12 राशियों का भ्रमण कर वापस वृषभ राशि में आते हैं, तब हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है। इसी तरह जब बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर 12 बार पूरा हो जाता है।

यानी जब बृहस्पति के वृषभ राशि में गोचर के 12 चक्र पूरे हो जाते हैं, तो उस कुंभ को पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है। जब देवासुर संग्राम हुआ था तो राक्षसों के गुरु शुक्र थे। इस बार वह उच्च स्थिति में राहु और केतु के साथ हैं। जबकि देवगुरु बृहस्पति शुक्र की राशि में हैं। देवासुर संग्राम के समय जो ग्रहों की स्थिति थी शुक्र दैत्य गुरु तथा बृहस्पति देवगुरु पूरी तरह से समुद्र मंथन के नायकों का दायित्व निभा रहे हैं।

साभार अमर उजाला