दुर्ग। दुर्ग जिला में लगातार पत्थर खदानों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की शिकायत ग्रामीण करते आ रहे है। ऐसे ग्रामीणों को एक अप्रैल से थोड़ी राहत मिल सकती है। जानकारी के मुताबिक कई चुना पत्थर खादान का संचालन भी बंद किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक जिले के 55 से ज्यादा खदानों का संचालन 31 मार्च के बाद बंद हो जाएगा। दरअसल इन खदानों के संचालक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के मुताबिक स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (एसईआईएए) की पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ले पाए हैं। पूर्व में खदान संचालकों की याचिका पर सुप्रीप कोर्ट ने इसके लिए 31 तक मोहलत दी थी। लिहाजा अब 31 मार्च के बाद इन खदान संचालकों को पत्थर खनन के साथ इससे जुड़ी तमाम गतिविधियां बंद करनी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि गौण खनिज के खदानों की अनुमति से पहले पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर आंकलन कराया जाता है। इसकी निश्चित प्रक्रिया है। इससे पहले तक ऐसे गौण खनिज के खदानों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी द्वारा पर्यावरणीय एनओसी दे दी जाती थी, लेकिन इसमें स्थानीय स्तर पर घालमेल और मिलीभगत से पर्यावरण पर दुष्प्रभावों और स्थानीय लोगों की सहमति को दरकिनार कर एनओसी जारी कर दिए जाने की शिकायतों के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी की मंजूरी के संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके तहत गौण खनिज के खदानों के संचालन के लिए डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी मान्य नहीं होंगे और स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी के बिना खदानों को संचालन नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले तक जिले के लगभग 75 पत्थर खदान डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी पर संचालित किए जा रहे थे।
