पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के  अनेक संभावनाएं , सड़क सहित मूलभूत सुविधाओं का आभाव

पंडरिया। ब्लाक अंतर्गत पर्यटन को विकसित करने के अनेक संभावनाएं हैं,जो सुविधओं के आभाव में विकसित नहीं जो रही हैं।इन स्थानों को प्रशासन द्वारा विकसित नहीं किये जाने के कारण लोगों की पहुंच से दूर है।शासन व प्रशासन द्वारा पर्यटन के मामले में ब्लाक के पर्यटन क्षेत्र में उपेक्षित हैं। ब्लाक में पर्यटन क्षेत्र हाफ नदी पर बनी कंवलधार जलप्रपात, भैंसाओदार जलप्रपात घोघराखुर्द , नेउर के पास स्थित गोदगोदा जल प्रपात , सहित पंडरीपानी मार्ग,कांदावानी मार्ग,भेलकी व सेंदुरखर मार्ग पर कई पहाडियों से दिखने वाले विहंगम दृश्यों को विकसित किया जा सकता है।

ब्लाक अंतर्गत मैकल पर्वत में कई स्थानों पर खुबसूरती छिपी हुई है जो प्रशासन द्वारा विकसित कर लोगों के सामने लाई जा सकती है। प्रशासन हमेशा से ही ब्लाक में पर्यटन क्षेत्रों के विकास हेतु सजग नहीं है, जिसके कारण क्षेत्र के पर्यटन स्थल में सड़क सहित कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।

प्रशासन को गंभीरता से लेते हुए उक्त पर्यटन स्थलों पर सड़क व अन्य सुविधाएं पहुंचानी चाहिए, जिससे पर्यटन के विकास के साथ क्षेत्र का विकास हो सके।यदि प्रशासन द्वारा इन जलप्रपातों तक पहुंचने रास्ता, सीढ़ी सहित कुछ जनसुविधाएं प्रदान कर दी जाएंगी तो पंडरिया ब्लाक की पहचान पर्यटन के क्षेत्र में होने लगेगी।साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।


कंवलधार जलप्रपात
कंवलधार जल प्रपात बोड़ला व पंडरिया ब्लाक के मध्य बांकी के पास हाफ नदी पर बनती है।यह करीब 30 फिट ऊंचाई से गिरती है। कंवलधार तक पहुंचने में 2 किमी पैदल चलना पड़ता है ।साथ ही प्रपात को देखने नीचे जाने का रास्ता नहीं बना है। उक्त स्थल पंडरिया से लगभग 50 किमी तथा बोडला से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। जहां दो किमी सड़क बनने से यह प्रपात जिले का सबसे सुंदर व आकर्षक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो सकता हैं।जलप्रपात के अलावा मैकल पर्वत की घाटियों की खूबसूरती भी लोगों को आकर्षित करती है।


भैसाओदार जल प्रपात– वनांचल में स्थित ग्राम कौआनार से करीब 2 किलोमीटर दूरी पर भैंसाओदार जल प्रपात स्थित है, जिसकी उंचाई तो कम है, किंतु दो तरफ से पहाडियों के बीच स्थित घाटी पर्यटन की दृष्टि से काफी मनोरम हैं। भैंसाओदार में घोघराकला से लगभग 2 किमी सड़क नहीं है, जिसके कारण पर्यटक जल प्रपात तक नहीं पहुंच पाते हैै। पर्यटकों को यहाँ तक पहुंचने 2 किमी पैदल चलकर जाना पड़ता है।


गोदगोदा जलप्रपात– नेउर से करीब 2 किलोमीटर दूर कांदावानी मार्ग पर गोदगोदा जल प्रपात स्थित है। जहाँ पहुंचने के लिए नदी के रास्ते करीब डेढ़ किमी पैदल चलकर जाना पड़ता है। गोदगोदा जल प्रपात कारण 15 फिट की ऊंचाई से गिरती है, जो आकर्षक जल प्रपात बनाती है।

इसके अलावा तेलियापानी व चुलटोला के पास आगर नदी में करीब 50 फिट की ऊँचाई से जलप्रपात बनी हुई है।जहां नीचे जाने का रास्ता दुर्गम होने के कारण पर्यटक नहीं पहुंच पाते हैं।
घोघरा जल प्रपात– घोघरा जल प्रपात पांडातराई के पास स्थित ग्राम घोघराकला में हाफ नदी पर एक छोटा सा जल प्रपात बना है तथा यहां पर चट्टानों की खूबसूरती भी पर्यटको को आकर्षित करती है। उक्त स्थान पर उद्यान व बच्चों के मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराने से इसे भी पर्यटन के लिए विकसित किया जा सकता है।
कांदावानी के पास स्थित जल प्रपात-नगर से करीब 45 किलोमीटर दूर नेऊर,बाहपानी के आगे कांदावानी से करीब 2 किलोमीटर दूर बिजराटोला में सुंदर जलप्रपात स्थित है।जहां पहुंचने के लिए करीब दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।कांदावानी तक पक्की सड़क है आगे का दो किलोमीटर कच्ची सड़क व पगडंडी है।
सराईदाह जल प्रपात-ब्लाक मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर सराईदाह जल प्रपात स्थित है।जो बरसाती नाले में बनती है।यह अन्यन्त ही खूबसूरत जल प्रपात है।जो घने जंगलों के बीच स्थित है।यहां जाने के लिए पोलमी से करीब पांच किलोमीटर जंगलों के बीच पगडंडियों से जाना पड़ता है।फिसलन भरी रास्तों के चलते यहां जाना अन्यन्त ही मुश्किल है।पहाड़ियों के किनारे बाइक के सहारे यहां पहुंच सकते हैं।यहां रास्ता बनाकर इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है।


कई गुफाएं भी हैं-ब्लाक अंतर्गत जलप्रपात के अलावा कई गुफाएं भी हैं।नगर से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर बम्हन्देई मंदिर व बुचीपारा के पास गुफा है,जो काफी प्राचीन है।इन गुफाओं का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व भी है।बताया जाता है कि पहाड़ी के ऊपर बम्हनदई मन्दिर में बने गुफा के रास्ता पहले भोरमदेव व पचराही की ओर जाता था।

देवसरा के पास भी चट्टानों में बड़ी गुफा है।ब्लाक मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम भेड़ागढ़ में भी एक बड़ा गुफा है।इन गुफाओं को प्रशासन का सहयोग नहीं मिलने के कारण उपेक्षित हैं।यहां सुविधा विकसित कर इन स्थानों का विकास किया जा सकता है।
“सभी स्थानों को चिन्हांकित कर अवलोकन किया जाएगा।जिसके बाद पहुंच मार्ग व सुविधाओं के लिए रुट बनाया जाएगा।”
सुयशधर दिवान,एसडीओ वन विभाग पंडरिया।