पाटन। राम नवमी से शुरू हुआ शादी का मूहर्त अब ग्रामीणों की मजदूरी पर भारी पढ़ने लगी है। पाटन ब्लॉक में लगातार मजदूरों की संख्या मनरेगा में कम होने लगी है। ऐसा उम्मीद लगाया जा रहा है की जैसे ही शादी का सीजन समाप्त होगा तो फिर से मनरेगा के कार्य में तेजी आएगी। अभी वर्तमान में मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों शादी मनाने में लगे है।

इस वर्ष शादी का मूहर्त बहुत कम है जिसके कारण अभी जो राम नवमी से लेकर अगले चार पांच दिन तक वैवाहिक मांगलिक कार्य के लिए शुभ मूहर्त है। ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा शादी हो रही है। इसका असर गांव गांव में चल रहे मनरेगा के कार्यों पर भी देखने को मिल रही है। जानकारी के मुताबिक पिछले 16 अप्रैल से मनरेगा कार्य में जाने वाले मजदूरों की संख्या कम हो गई है। पाटन ब्लॉक के लगभग सभी गांवों में मनरेगा का कार्य शुरू हो गया है। दुर्ग जिला में पाटन ब्लॉक में ही सबसे ज्यादा मजदूरों को काम मिल रहा था। ग्रामीण क्षेत्र में राम नवमी को प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा गांव में आज भी शादी में एक दो दिन पहले से जाने का सिलसिला चल ही रही है। अपने परिवार के शादी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जाते है। ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों का कहना है की काम काज तो जीवन भर लगा रहेगा। लेकिन तीज त्यौहार और परिवार में शादी का कार्यक्रम तो निश्चित समय पर ही होता है। जिसमे शामिल होना जरूरी भी होता है।

इस तरह कम हो रही मजदूर
मिली जानकारी के मुताबिक पाटन ब्लॉक में अभी भी सबसे ज्यादा गांवों में काम चल रहा है। 16 अप्रैल को 97 ग्राम पंचायतों में काम शुरू हुआ। जिसमे 20918 मजदूरों को रोजगार का अवसर मिला। इसी तरह 17 अप्रैल को 89 ग्राम पंचायतों में 15073 मजदूर काम पर आए। वही 18 अप्रैल 84 ग्राम पंचायत में 13051 मजदूर काम पर पहुंचे। इस तरह से लगातार दो दिन मजदूरों की संख्या कम हुई है। बता दे की 17 अप्रैल को रामनवमी का पर्व था इसके बाद अब शादी का मुहूर्त शुरू हो गया। इस कारण मजदूरों की संख्या तेजी से कम हुआ है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है की जल्द ही मजदूरों की संख्या बढ़ जाएगी।
बारिश के कारण भी काम प्रभावित हुआ
मनरेगा का ज्यादातर कार्य तालाब सफाई और गहरीकरण के लिए शुरू हुआ है। अभी पिछले कुछ दिनों से पाटन ब्लॉक में पूरा जिला में सर्वाधिक बारिश हुई है। इस कारण भी तालाबों में पानी भर गया था। जिसके कारण कुछ कुछ जगहों पर काम बंद भी करना पड़ा था। तालाब सूखने के बाद फिर से काम शुरू होगा तो मजदूरों को संख्या बढ़ जाएगी।