भारतीय जन संघ के संस्थापक, राष्ट्रीय एकता व अखण्डता के पर्याय, महान शिक्षा विद, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया l डॉ मुखर्जी जी को याद करते हुए खेमलाल साहू मण्डल अध्यक्ष मध्यमण्डल पाटन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे डॉ मुखर्जी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे।

मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। रमेश देवांगन संयोजक ने कहा कि अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े।

वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। पूरा भारत देश आज उन्हें याद करते हुए नमन करता है l सबने मिलकर दो नग बादाम के पौधे का रोपण किया l उक्त अवसर पर ग्राम पंचायत सेलुद के सरपंच श्रीमति खेमिन साहू, रमेश देवांगन शक्तिकेन्द्र संयोजक, पारखत साहू अध्यक्ष ओबीसी मोर्चा, बूथ अध्यक्ष गन राजू देवांगन, यशवंत सेन, लवण बंजारे, मुक्तराम साहू, प्रकाश साहू, डिलेश्वरी देवांगन, शैल साहू, नरोत्तम साहू, टी पी शर्मा, लक्षमण वर्मा, जयंत साहू, राज बंछोर, हितेश साहू उपस्थित रहे l