दुर्ग । मतवारी की स्वसहायता समूह की सदस्यगण न केवल हर्बल गुलाल जैसा नवाचार अपना रही हैं अपितु इसको प्रमोट करना भी खूब जानती हैं। इन्होंने सोशल मीडिया को अपने हर्बल गुलाल के प्रचार के लिए उपयोग किया। फेसबुक तथा व्हाटसएप में अपने गुलाल के पोस्ट डाले। स्टेटस में इसे रखा। उन लोगों से जाकर मिली जहाँ इनके उत्पाद की खपत संभव थी। फिर राह खुलती गई। अभी 40 किलो हर्बल गुलाल बेच चुकी हैं और 50 किलो का आर्डर जारी कर रही हैं। गायत्री स्वसहायता समूह की अध्यक्ष जागृति साहू ने बताया कि उन्होंने ऐसे उपभोक्ताओं को एप्रोच किया जो बड़ी मात्रा में सामग्री क्रय कर सकते थे। उदाहरण के लिए वे मास्टर ट्रेनर भी हैं और इस नाते पंजाब नेशनल बैंक के प्रशिक्षण सत्र के लिए भी मास्टर ट्रेनर के रूप में काम करती हैं। एक बार यहां डीजीएम ने उनका स्टाल देखा और पसंद आया। इस बार उन्होंने बैंक के आयोजन के लिए हर्बल गुलाल का आर्डर दिया। साहू ने बताया कि गाँव के आसपास पलाश के फूल खूब खिलते हैं। गाँवों में तो परंपरागत रूप से पलाश के फूलों से ही होली मनाई जाती थी लेकिन समय बदला और आर्गेनिक कलर बाजार में आ गये। अब लोग अपनी त्वचा के प्रति अधिक जागरूक हो गये हैं तो परंपरा की वापसी हो गई है। उन्होंने बताया कि दस दिन पहले उन्होंने काम शुरू किया। पलाश के फूलों के अलावा पालक भाजी, लाल भाजी, चुकंदर आदि का उपयोग भी किया। वे प्रति किलोग्राम गुलाल 300 रुपए में बेच रही है। रा मटेरियल का खर्च लगभग 100 रुपए है और दो सौ रुपए विशुद्ध आय है। उन्होंने बताया कि दीपावली में उन्होंने फ्लोटिंग दीया आदि के प्रयोग किये थे। इसको बड़ी सराहना मिली थी और काफी संख्या में ऐसे दीये बिके थे। जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि हमारी कोशिश है कि नवाचार को बढ़ावा मिल सके। लोकल मार्केट में अपार संभावना है और इसे प्राप्त करने की दिशा में स्वसहायता समूहों की महिलाओं को प्रेरित किया जा रहा है। मतवारी में महिलाएं बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं। हर्बल गुलाल का उन्हें बड़े पैमाने पर आर्डर आया और अद्भुत बात यह है कि उन्होंने तेजी से इसे पूरा भी कर लिया। देवांगन ने कहा कि यह अच्छी बात है कि वे सोशल मीडिया से भी जुड़ रही हैं और अपने उत्पादों के प्रचार के लिए बड़े क्षेत्र तक पहुँच रही हैं।