मोर गांव-मोर पानी : जल संरक्षण की ओर सार्थक कदम





दुर्ग, जिले में जल संरक्षण को लेकर एक विशेष पहल मोर गांव, मोर पानी महाअभियान के अंतर्गत व्यापक गतिविधियां संचालित की जा रही है, जिसे “एकेच गोठ, एकेच बानी ’’बूँद-बूँद बचाबो पानी” का नाम दिया गया है। कलेक्टर  अभिजीत सिंह के निर्देशानुसार एवं सीईओ  बजरंग कुमार दुबे के मार्गदर्शन में यह अभियान गांव-गांव में सक्रियता से संचालित किया जा रहा है।
पाटन विकासखंड के ग्राम भरर में समाधान शिविर के दौरान मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी ने जल संरक्षण की शपथ दिलाई। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों, पंचायत पदाधिकारियों, महिला स्व-सहायता समूहों और मनरेगा श्रमिकों ने जल संरक्षण एवं उसके संवर्धन की जिम्मेदारी ली। जनपद पंचायत पाटन में “जल है तो कल है” के नारों के साथ ग्रामीणों ने जल स्रोतों के संरक्षण का संदेश दिया और जल बचाने के लिए सामूहिक संकल्प लिया। अभियान का उद्देश्य केवल जल को बचाना नहीं, बल्कि समाज में जल के विवेकपूर्ण उपयोग की आदत विकसित करना और पारंपरिक जल स्त्रोतों के पुनर्जीवन को बढ़ावा देना भी है। कार्यक्रम के दौरान वर्षा जल संचयन के महत्व को समझाया गया और भूजल स्तर में गिरावट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। सभी ग्राम पंचायतों को मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही वृक्षारोपण, भूजल दोहन में कमी और समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित कर इसे जन आंदोलन का स्वरूप देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
इस अभियान में महिला स्व-सहायता समूहों, विशेष रूप से बिहान की दीदियों ने प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने ग्रामीणों को जल संरक्षण के सरल उपायों की जानकारी दी। घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को बताया कि किस तरह वर्षा जल संग्रहण किया जा सकता है, पुराने कुओं और तालाबों का जीर्णाेद्धार किया जा सकता है, नलों की लीकेज को रोका जा सकता है और फसल चक्र अपनाकर कम पानी में खेती की जा सकती है।
कार्यक्रम में एक शपथ समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने पानी की बर्बादी रोकने, वर्षा जल संचयन करने और जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने का संकल्प लिया। साथ ही, गांव की दीवारों पर जल संरक्षण से जुड़े प्रेरणादायक नारे लिखे गए और एक पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। जिले की अन्य पंचायतों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अब गांव के लोग घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने और पानी का सुदपयोग करने के लिए प्रेरित हुए हैं। इस तरह के सामूहिक प्रयासों से न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा, बल्कि भविष्य में संभावित जल संकट से भी प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा।