नंदनवन जंगल सफारी में ‘प्रकृति शिक्षा इंटर्नशिप’ का हुआ समापन….विद्यार्थी पर्यावरण और प्राकृतिक शिक्षा से हुए अवगत

रायपुर।नवा रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी में आयोजित 10 जनवरी से 25 जनवरी 2025 तक 15 दिवसीय नेचर एजुकेशन इंटर्नशिप कार्यक्रम का आज सफल समापन हुआ। इस कार्यक्रम में बायोटेक्नोलॉजी, बॉटनी, जूलॉजी, फॉरेस्ट्री आदि विषयों के 15 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इंटर्नशिप का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के माध्यम से पर्यावरण शिक्षण सहायक सामग्री तैयार करवाना तथा पर्यावरण और प्राकृतिक शिक्षा से अवगत कराना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ ओरिएंटेशन वालंटियर एवं फाउंडेशन फोर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी से डॉ.मंजीत कौर बल द्वारा किया गया, इसके बाद चंद्रमणी साहू वनरक्षक व पर्यावरण शिक्षा समन्वयक द्वारा विद्यार्थियों एवं नन्दनवन जंगल सफारी का परिचय सत्र में इंटर्नशिप के उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इंटर्नशिप के दौरान विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया।

द्वितीय दिवस पर डॉ. थिप्पे स्वामी सहायक प्राध्यापक समुदायिक चिकित्सा रिम्स हॉस्पिटल रायपुर ने सर्पों की पहचान, उनके व्यवहार, संरक्षण और सुरक्षा उपायों पर एक कार्यशाला आयोजित की साथ ही साथ पर्यावरण शिक्षा में कैसे सर्प के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकती है एवं उनका महत्व इस विषय पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया ,

जबकि तृतीय दिवस पर डॉ. हितनारायण टंडन विभाग अध्यक्ष जंतु विज्ञान संत गुरु घासीदास पीजी कॉलेज कुरूद ने रिपोर्ट लेखन की बारीकियों पर व्याख्यान दिया, तथा विद्यार्थियों को बताया कि रिपोर्ट राइटिंग का उपयोग कैसे नेचर एजुकेशन में किया जा सकता है एवं उसके महत्व पर चर्चा किया इसके बाद भू संरक्षणम NGO से  पवन तिवारी ने विद्यार्थियों को नंदनवन जंगल सफारी में पर्यटकों एवं शैक्षणिक भ्रमण हेतु आये विद्यार्थियों के लिए नेचर एजुकेशन में किस-किस तरीके और विधि का उपयोग करके और प्रभावी शिक्षण समग्री या तरीके अपना सकते है ।

चतुर्थ दिवस पर ज्ञानकुरिय एकेडमी के पुष्पेंद्र सर ने विद्यार्थियों को ‘A to Z सस्टेनेबल लाइफ’ व सतत गोल विषय पर मार्गदर्शन प्रदान किया जिसमें उन्होंने लाइफस्टाइल और प्रकृति के बीच संतुलन पर चर्चा की एवं बताया कि कैसे प्रकृति शिक्षा में हम इनका उपयोग कर सकते है, पंचम दिवस पर नंदनवन जंगल सफारी के पर्यावरण शिक्षा टीम के चंद्रमनी साहू ने विद्यार्थियों को शैक्षिक सहायक सामग्री (Educational Aids) तैयार करने की प्रक्रिया और समूह गतिविधियों को संचालित करने की तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी।

इंटर्नशिप के शेष दिनों में विद्यार्थियों ने नंदनवन जंगल सफारी के पर्यावरण शिक्षा टीम जिसमें चन्द्रमणी साहू, उपेंद्र साहू समन्वयक, शेख जावेद, संतोष यादव, सूरज साहू प्रकृति गाइड आदि के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें शैक्षिक भ्रमण हेतु आए विद्यार्थियों के साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना एवं नंदनवन जंगल सफारी के वन्यजीवों तथा पर्यावरण के बारे में जागरूक करना , प्रकृति जागरूकता के लिए सहायक सामग्री बनाना और समूह में योगदान देना शामिल था। विद्यार्थियों को नंदनवन जंगल सफारी के लिए नेचर शैक्षणिक सहायक तैयार करने का अवसर मिला, जिससे उन्होंने रचनात्मक विचारों के माध्यम से पर्यावरणीय संदेश प्रसारित करने की कला सीखी।

इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों ने श्री मोहित साहू एवं डॉ. हकीमुद्दीन सैफी सर के मार्गदर्शन में बर्ड वाचिंग भी किया तथा प्रतिभागियों को उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का भ्रमण कराया गया, जहां उन्होंने कुल्हाड़ी घाट में कायकिंग, इको हाट कोयबा और चौसिल विव पॉइंट जैसी गतिविधियों में भाग लिया। इन गतिविधियों ने विद्यार्थियों को पर्यावरणीय संतुलन, जैव विविधता और वन्यजीवों के संरक्षण की व्यावहारिक समझ दी।

कार्यक्रम के समापन सत्र में विद्यार्थियों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने नेचर पर अपने अवलोकन और निष्कर्ष साझा किए।

नंदनवन जंगल सफारी के संचालक श्री धम्मशील गणवीर ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर कहा कि, “इस इंटर्नशिप ने छात्रों को प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूक किया है और उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया है तथा विद्यार्थियों ने कुछ शिक्षण सहायक सामग्रियों का निर्माण भी किया है। हमें विश्वास है कि इस प्रकार के कार्यक्रम युवाओं में पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और उन्हें इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे।”

कार्यक्रम के समापन पर विद्यार्थियों को उनकी सहभागिता के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। सभी विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए और नंदनवन जंगल सफारी के प्रबंधन व पर्यावरण शिक्षा टीम को इस अनूठे अवसर के लिए धन्यवाद दिया। इस इंटर्नशिप ने विद्यार्थियों को प्रकृति और पर्यावरण के प्रति एक नई दृष्टि प्रदान की, जो उनके भविष्य में योगदान के लिए सहायक होगी।