मासिक बैठक के लिए भवन नहीं, मितानिन प्रशिक्षकों ने जाहिर की नाराज़गी, सरकार पर लगाया आरोप

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । मितानिनों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की संज्ञा दी गई है। जिनके निस्वार्थ कार्यों से स्वास्थ्य विभाग को काफी सहयोग मिलता है, जहां विभाग के कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाते वहां मितानिनें पारा मुहल्ले में चाहे बारिश हो धूप हो पहुंचकर प्राथमिक उपचार देती है और गंभीर स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मदद करने में तत्पर रहती हैं।

निस्वार्थ सेवा देने के बावजूद मितानिन प्रशिक्षकों व मितानिनों के लिए विभागीय मासिक बैठक हेतु कोई भवन ना तो विकासखंड स्तर पर उपलब्ध है और ना ही पंचायत स्तर पर। इनकी मासिक बैठक मंडी स्थल या पेड़ के छांव में या खाली सरकारी भवन या खुले मंच पर आसानी से देखी जा सकता है।

बैठक के दौरान फुटा गुस्सा-

फरसगांव में आज मितानिन प्रशिक्षकों के बैठक के दौरान खुले मंच पर बैठक की बात पुछने पर एकाएक सभी प्रशिक्षकों का विभाग और सरकार पर ग़ुस्सा फुट पड़ा। इनका कहना है कि सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं घर घर पहुंचाने वाली मितानिनों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हमारे द्वारा मितानिन को टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व चार जांच, नवजात के बच्चे के घर भ्रमण सहित कुछ सेवाओं पर शासन द्वारा केवल नाम मात्र प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अलावा एएनएम प्रशिक्षण में भी कुछ पद आरक्षित किया जाता है। परंतु हम गांव-गांव के पारा टोला में रहकर लोगों को मलेरिया, दस्त, निमोनिया, बीमार नवजात, टीवी, कुष्ठ, पीलिया, कुपोषण, कृमि, गर्भवती पंजीयन से लेकर संस्थागत प्रसव, महिलाओं की गर्भावस्था में देखभाल, साथ ही सुरक्षित गर्भपात, महिला हिंसा रोकने, पोषण व खाद्य सुरक्षा, बच्चों का विकास, महिलाओं के अधिकार, स्तन कैंसर के लक्षण की जानकारी पारा बैठक कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना सहित अन्य कार्यों को भी निस्वार्थ भाव से करते है। लेकिन शासन हमारी समस्याओं को अनदेखा कर रहा है इसीलिए आज तक हमें कोविड प्रोत्साहन राशि भी प्राप्त नहीं हुआ।

क्या कहते हैं सीएमएचओ-

इस विषय में सीएमएचओ कोंडागांव टीआर कुंवर से बात करने पर उन्होंने कहा की इस तरह मितानिनों के लिए कोई भी भवन शासन की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया है। इनके बैठक के लिए स्थानीय स्तर पर किसी खाली सरकारी भवन या अन्य जगहों पर बैठक कर सकते है।