रिपोर्टर, प्रभा यादव
जशपुर। सर्पदंश की घटनाओं में मरीज को अस्पताल ना ले जाकर झाड़फूंक कराना एक बड़ी बाधा थी। अधिकांश मौतें समय पर उपचार ना मिलने की वजह से होती थी। इसे देखते हुए इस वर्ष जिला प्रशासन ने कुछ नया किया।
कलेक्टर डॉ. संदीप मित्तल के निर्देश जिले में पहली बार उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर बैगा ओझाओं की बैठक ली गई। इन बैठकों में जड़ी बुटी से इलाज करने वाले और झाड़फूंक से उपचार करने वाले बैगा ओझाओं को समझाइश दी गई कि वे सर्पदंश के मरीजों को सीधे अस्पताल भेजें। बैगा ओझाओं की इस समझाइश का अच्छा-खासा असर पड़ा। नतीजा अब बैगा ओझा गुनिया सभी सर्पदंश के मरीजों को सीधे अस्पताल भेज रहे हैं और मरीजों की जान बच रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल पहुंचने वाले सर्पदंश के मरीजों में से 99 प्रतिशत मरीजों की जान बचा ली जाती है। इस साल अबतक 280 सर्पदंश के केस जिला अस्पताल सहित विभिन्न सीएचसी और पीएससी में आए थे। इस 280 में से 275 मरीजों की जान एंटी स्नेक वेनम की मदद से बचा ली गई है।
इस वर्ष अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले मरीजों की संख्या िसर्फ 5 है। इस साल पत्थलगांव, फरसाबहार, मनोरा में एक-एक और जशपुर में दो मौतें हुई हैं। वहीं सर्पदंश की केस की बात करें तो सबसे अधिक 75 केस फरसाबहार विकासखंड में आए हैं।
फरसाबहार विकासखंड को नागलोक के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा पत्थलगांव में 66, मनोरा में 13, दुलदुला में 5, बगीचा में 41, कांसाबेल में 34, जशपुर में 29 और हॉलीक्रास अस्पताल में 13 केस आए हैं। ओझा ने कहा- झाड़फूंक भ्रम, अस्पताल जाइए बीते सप्ताह बगीचा विकासखंड के सरधापाठ पंचायत के कुरकुरिया ग्राम की प्रमिला यादव को जहरीले सांप ने काट लिया था। इसके बाद घबराए घर वालों ने गांव के ही झाडफूंक करने वाले प्रसाद यादव के पास लेकर गए।
जहां प्रसाद यादव ने झाडफूंक से सर्पदंश का उपचार होना सिर्फ एक भ्रम बताते हुए उन्हें सीधे हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। अस्पताल पहुंचने से महिला की जान बच गई। भेजा अस्पताल, महिला की बची जान जशपुर के ग्राम बोरोकोना में सर्पदंश के बाद गुरमईत यादव ( 38) को गम्हरिया के नरेश बाबा के पास ले जाया गया था। नरेश बाबा ने उन्हें तत्काल हॉस्पिटल जाने को कहा। नरेश बाबा ने कहा कि पर मुझे सिर्फ झाड़फूंक से सांप के जहर उतरने का पूरा विश्वास नहीं है। इस के बाद परिजन गुरमइत को जिला हॉस्पिटल ले गए। एंटी स्नेक वेनम की डोज देने से उसकी जान बच गई। गई।
एंटी स्नेक वेनम के 3173 वाइल जिले के लिए भेजे इस साल सर्पदंश के पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए जिले भर के सामुदायिक, प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नेक वेनम के 3173 वाइल भेजे गए हैं। जिले के स्टोरेज अधिकारी के मुताबिक अब तक किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र से वेनम के खत्म होने की रिपोर्ट नहीं आई है। सभी अस्पतालों में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।झाड़फूंक से मरीजों के ठीक होने का क्या है राज सर्प जागरूकता पर काम कर रहे जीएनडब्लूएस के केसर हुसैन ने बताया कि कई सांप बिना जहर वाले होते हैं। ऐसे सांप यदि काट लें तो मरीज को कुछ नहीं होता। सिर्फ डर से उसकी हालत खराब होती है जो कुछ देर में ठीक हो जाती है। झाड़फूंक से सर्पंदश के मरीजों के ठीक होने की जो घटनाएं लोग देखते हैं वे ऐसे ही केस होते हैं। इसके अलावा कई बार जहरीले सांप भी ड्राई बाइट करते हैं। मतलब डसते तो हैं पर जहर नहीं छोड़ते।