औरापानी मे गिद्ध की संख्या बढ़ी, किया जा रहा संरक्षित

राजकुमार सिंह ठाकुर

पंडरिया । ये विलुप्त होता गिद्ध है,जो कभी हर गांव में दिखाई देता था।अब इनकी संख्या कम हो गई है।इन गिद्धों का बसेरा मुंगेली जिले के लोरमी ब्लाक अंतर्गत खुड़िया रेंज के औरापानी में मैकल पर्वत में लंबे समय से बना हुआ है।बताया जा रहा है कि पहले इनकी संख्या 40 थी,जो अब बढ़कर 150 हो गई है।वन विभाग द्वारा इनके संरक्षण कार्य किया जा रहा है।लोरमी से इसकी दूरी करीब 35 किलोमीटर है।इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

ये कत्थई और काले रंग के भारी कद के पक्षी हैं, जिनकी दृष्टि बहुत तेज होती है। शिकारी पक्षियों की तरह इनकी चोंच भी टेढ़ी और मजबूत होती है, लेकिन इनके पंजे और नाखून उनके जैसे तेज और मजबूत नहीं होते। ये झुंडों में रहने वाले मुर्दाखेर पक्षी हैं।जो कोई भी गंदी चीजों को खाते हैं।कुछ सालो पहले तक गिद्ध बहुतयात पाये जाते थे।

आमतौर पर indian Vulture को नापसंद किया जाता है, क्योंकि यह एक बदसूरत पक्षी है। यह मरे हुए जानवर को खाता है। इसी काम के कारण गिद्ध Vulture को पर्यावरण का सफाई कर्मी भी कहते है। यह मरे हुए जानवरो को खाकर पर्यावरण की सफाई करते है, बीमारिया फैलने से बचाते है।

गिद्ध (Indian Vulture) पक्षी झुंडों में रहना पसंद करते है। गिद्ध सबसे ऊँची उड़ान भरने के लिए जाना जाता है। इनके सूंघने और देखने की शक्ति बहुत तेज होती है। ये करीब एक किलोमीटर ऊपर से मरे हुए जानवर की गंध सूंघ लेते हैं।और उसे देख लेते है।

पंख बड़े और पूँछ छोटी होती है।

पंख 5 से 7 फुट तक होते है। इनका वजन 5.5 kg से 6.5 kg होता है।गिद्ध अपना घोंसला पेड़ो या पहाड़ी चट्टानों पर बनाते है।

गिद्ध अंडे देते है। इनका अंडा सफ़ेद मटमैला और धब्बेदार होता है।मादा गिद्ध वर्ष में 2 अंडे देती है। ये अंडे मुर्गी के अंडे से थोड़े बड़े होते है।

नर और मादा दोनों अपने इन अंडो की रक्षा करते है।

गिद्ध Indian Vulture का बच्चा 6 माह तक घोसले में ही रहता है।

इस वजह से इनकी संख्या घाटी थी-वन विभाग पंडरिया के एसडीओ ने बताया कि कुछ दवाओं के कारण इन पक्षियों की संख्या कम हुई थी।जिसे बेन किया गया था।उंन्होने बताया कि दवाओं जैसे डायक्लोफ़ेनाक ,एक्सिटोन इत्यादि की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता में कमी माना जाता है। इन दवाओं की वजह से उनके गुर्दो ने काम करना बंद कर देता है।जिसमे प्रतिबंध लगाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1990 तक गिद्ध की 90% प्रजातियां खत्म हो चुकी थी।दवाओं के अलावा भोजन की कमी ,हवाई दुर्घटनाए,चक्रवात,टावर की तरंगें इत्यादि के कारण भी इनमे कमी आयी है। आज यह पक्षी विलुप्त होने के कगार में हैं।सरकार ने इसको लाल सूची में डाल दिया है। संरक्षण के उपाय शुरू कर दिए है। इस पक्षी को मारना कानूनन अपराध माना गया है। 1 सितम्बर को अंतराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाया जाता है।