छत्तीसगढ़: युवा महोत्सव के अंतिम दिन रॉक बैंड और ‘ससुराल गेंदा फूल’ पर झूमे लोग, लोक साहित्य ने बांधा समां

रायपुर।छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय युवा महोत्सव के तीसरे और आखिरी दिन रॉक बैंड की मनमोहक प्रस्तुति ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। रॉक बैंड में कोंडागांव जिले की प्रस्तुति ने समां बांध दिया। ससुराल गेंदा फूल पर युवा, बच्चे, जवान और बूढ़े सभी झूम उठे। आधुनिक के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी को सब देखते ही रह गए। धमतरी जिले ने 51 पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन कर दी सुमधुर प्रस्तुति दी।

साइंस कॉलेज मैदान में युवाओं में जबरदस्त जोश और उत्साह दिखाई दिया। 15 से 40 आयु वर्ग में रायपुर संभाग के धमतरी जिले ने 51 पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन कर रॉक बैंड की सुमधुर प्रस्तुति दी। तबला,  हारमोनियम के साथ चिकारा, लबाडा, मृदंग जैसे वाद्य यंत्रों के वादन से आधुनिकता के साथ पारंपरिकता की जुगलबंदी दिखाई दी। 

डा.परदेशी राम वर्मा ने दीप प्रज्वलित किया
लोक साहित्य के पहले सत्र के अध्यक्ष डा.परदेशी राम वर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। महासमुंद के बंधु राजेश्वर खरे ने अपनी कहानी में शीर्षक माटी के आसरा का वाचन किया। कहानी में लाखन मंडल के भरे पूरे परिवार के बारे में बताया गया। लाखन मंडल के गुजर जाने के बाद उसके बेटे बिसरू के शराब और जुए की लत से बिगड़ने और संपत्ति को नहीं बचाने की बात पर केंद्रित रहा।

मार्मिक और जागरूक करने वाली कहानी का वाचन 
परदेशी राम वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि इस सत्र में मार्मिक और जागरूक करने वाली कहानी का वाचन किया गया। उन्होंने कहा की छत्तीसगढ़ी में जो रचना की गई है, वह काव्यात्मक है। परंतु वर्तमान में पिछले कई वर्षो से गद्य में रचना हो रही है,जो प्रशंसनीय है। गांव में जो नाटक होता था वह छत्तीसगढ़ी में नही होता था,हिंदी में होता था। देश में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में महाभारत और रामायण का प्रभाव रहा है।जिंदगी है तो बहरहाल गुजर जाएगी, तू अगर साथ नही तो कोई बात नही। उन्होंने कहा कि आयोजन की अंतराष्ट्रीय स्तर से तुलना की जा सकती है।साहित्य के लिए छोटी नौकरी कीजिए,बड़ी नौकरी आपकी की कला को उदय नही होने देगी।छत्तीसगढ़ी भाषा को मजबूत करने के लिए सबको समन्वय से काम करना होगा। छत्तीसगढ़ की धरती में प्रथम कथाकार हुए।

साहित्य के लिए छोटी नौकरी कीजिए, बड़ी नौकरी नहीं’
उन्होंने कहा कि आयोजन की अंतराष्ट्रीय स्तर से तुलना की जा सकती है। साहित्य के लिए छोटी नौकरी कीजिए, बड़ी नौकरी आपकी की कला को उदय नहीं होने देगी। छत्तीसगढ़ी भाषा को मजबूत करने के लिए सबको समन्वय से काम करना होगा। छत्तीसगढ़ की धरती में प्रथम कथाकार हुए। प्रथम सत्र के समापन अवसर पर परदेशी राम वर्मा ने गोंदा उपन्यास का विमोचन किया गया। इसके लेखक परमानंद वर्मा है। सरगुजिया में दिपलता देशमुख की बाल कहनी का भी विमोचन किया गया।

बेटा शीर्षक पर कहानी सुनाई
कोरबा के मंगत रविन्द्र ने बेटा शीर्षक पर कहानी सुनाई। गांव में चौराहों पर होने वाली बात को सुंदर कहानी के रूप में पिरोया। झाड़ू बबा की कहानी बड़ी रोचक होती थी। जमीन के सौदे से जुड़ी कहानी में जेठू ने बताया कि चैतु अपनी जमीन बेचने के लिए सौदा किया,अब चैतू जमीन बेचने से इंकार कर रहा है। इकरारनामा अनुसार पंचायत अपना फैसला जेठू के पक्ष में करने के लिए इकरारनामा को प्रस्तुत करने कहा। घर जाने पर पत्नी द्वारा इकरारनामा पेपर में अपने पिता को रोटी पीठा बांधकर दे देने पर जेठू बहुत नाराज हुआ।