कुम्हारी
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नगर के सेवा निवृत जनो ने छत्तीसगढ़िया लोक खेलो मे तीरी पासा नौगोटिया तथा भटकुल का प्रदर्शन खेल कर किया l आज पर्यन्त आधुनिकता और भौतिक पर्यावरण के चलते लोक संस्कृति से जुड़े खेल धीरे धीरे लुप्त होते जा रहे है l छत्तीसगढ़ के सरकार द्वारा लुप्त लोक खेलों को सरंक्षित और बढ़ावा दिया जा रहा है l ये तीनो खेल बौद्धिक खेल के अंतर्गत आते है l इन खेलो से एकाग्रता और दिमागी कसरत का अभ्यास होता है l मानसिक तनाव दूर होता है l

उक्त जानकारी सियान सदन के अध्यक्ष एवं साहित्यकाऱ मुरारी लाल साव ने आयोजन के परिप्रेक्ष्य मे दी। कार्यक्रम का शुभारम्भ खेल प्रतिभागी बच्चों ने दीप जलाकर स्तुति पाठ से किया l इस अवसर पर वरिष्ठ सेवा निवृत व्याख्याता एन लक्ष्मी संतराम साहू, परस राम साहू( राष्ट्र पति पुरस्कृत शिक्षक ) व्याख्याता के. आर साहू बैंक के ऑफिसर अंकित राजपूत आंगनबाड़ी सहायिका उर्मिला देवांगन बूंदी धीवर पवन कुमार साहू प्रधान पाठक सेवा निवृत शिक्षक बी एल यदु आदि प्रतिभागी के रूप मे उपस्थित रहे l भटकुल के खेलो का निर्णायक संतराम साहू रहे l प्रतिभागी अनुग्रह और वैदिक बंछोऱ को खेल की जानकारी देकर प्रारम्भ कराया l उपस्थित जनो ने खेलते हुए बच्चों का उत्साह वर्धन किया l दूसरे क्रम में खेल तीरी पासा का हुआ जिसमें एन.लक्ष्मी परस राम साहू के.आर साहू अंकित राजपूत ने खेल का प्रदर्शन किया l श्रीमती उर्मिला देवांगन बूँदी धीवर पवन साहू आदि ने सह भागिता दी l परस राम साहू ने लोक खेल के बारे मे बताया ये हमारे पुराने लोक खेल हैl इसे हमारे बुजुर्ग परिवार जनो के साथ खेला करते थें l पूर्व व्याख्याता एन लक्ष्मी ने महिलाओ के लिए इसे ज्यादा महत्वपूर्ण कहा l