जैविक नियंत्रण से होगी कोंडागांव जिले में होगी सुगन्धित चावल की खेती

आशीष दास

कोंडागांव । कोंडागांव जिले के करंजी गाँव में आदिवासी उपयोजना अखिल भारतीय जैविक नियंत्रण अनुसंधान परियोजना के तहत एक दिवसीय जैविक नियंत्रण कृषक प्रशिक्षण सह वृहद स्तर पर सुगन्धित चावल पर जैविक नियंत्रण का प्रदर्शन का आयोजन किया गया।

इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय से अखिल भारतीय जैविक नियंत्रण अनुसंधान परियोजना की मुख्य अनुवेंषक डॉ जया गांगुली व कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागांव के संयुक्त प्रयास से आज दिनांक 24.08.2022 को प्रशिक्षण सह प्रदर्शन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमे 100 से अधिक किसानो ने भाग लिया।

इस कड़ी में इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के अखिल भारतीय जैविक नियंत्रण अनुसंधान परियोजना की मुख्य अनुवेंषक डॉ जयालक्ष्मी गांगुली द्वारा कृषको को विभिन्न प्रकार के जैविक कीट नियंत्रण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया गया। जिसमें बताया गया कि कीट दो प्रकार के होते है, मित्र कीट व शत्रु कीट, हानिकारक रसायनों के अंधाधुन प्रयोग से मित्र कीट लुप्त होते जा रहे है, जिससे शत्रु कीट का प्राकतिक रूप से नियंत्रण संभव नही हो पा रहा है। फलस्वरूप जैविक खेती अधिक कठिन होती जा रही है, खेतो में मित्र कीट की उपस्थति से कम लागत पर प्रभावी रूप से शत्रु कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है। रेडयूबिड बग, लेडी बर्ड बीटल, ट्राइकोग्रामा प्रजाति, ब्रेकान और सूत्र कृमि आदि द्वारा आसानी से कीटो का जैविक नियंत्रण किया जा सकता है।

कीट विज्ञान प्राध्यापक डॉ आरएन गांगुली ने ट्राइकोकार्ड व जैव उर्वरक के बारे में जानकारी दी, तथा बताया कि रासायनिक खाद से मृदा की उर्वरता नष्ट हो रही है किन्तु जैविक खाद के उपयोग से मृदा को पुनः जीवित किया जा सकता हैं।

केवि केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ओमप्रकाश ने स्थानीय कीटो के प्रकार, उनका जैविक नियंत्रण और कीटो के द्वारा होने वाले लाभ और हानि के बारे में सारगर्भित जानकारी दिया । डॉ रश्मि गौराहा ने कम लागत में प्रकाश प्रपंच द्वारा किट नियंत्रण, बायोएजेंटस उत्पादन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।

केंद्र के वैज्ञानिक डॉ हितेश मिश्रा ने किसानो को गाजर घास उन्मूलन हेतु मेक्सिकन बीटल के माध्यम जैविक नियंत्रण के बारे में बताया, इस घास का एक पौधा 1000-5000 पौधे उत्पन्न करता है जो हर तरह के वातावरण में उग सकता है इस घास के कारण फसलो में 40 % तक की कमी आती है तथा गाजर घास में उपस्थित जहरीली रसायन से डरमेटाइटीस, एलर्जी,बुखार,दमाजैसे गंभीर रोग होते है, पशुओ के लिए भी अनेक रोग व् दूध में कड़वाहट उत्पन्न करता है।

इस कार्यक्रम में कामधेनु गौ सेवा संस्थान की संस्थापक बिन्देश्वरी शर्मा की महती भूमिका रही जिनके मार्गदर्शन मं कोंडागांव में 563 एकड़ में सुगन्धित धान की जैविक की जा रही है, कार्यक्रम ग्राम सरपंच इमलेश्वरी, डॉ.अजय तिवारी, डॉ.प्रफुल्ल सोनी, धनंजय नेताम का सहयोग रहा ।