पाटन।संकुल स्त्रोत केंद्र परसदा के अधीनस्थ शासकीय उच्च प्राथमिक शाला मगरघटा एवम शासकीय उच्च प्राथमिक शाला परसदा में दिनांक 7 जनवरी एवम 8 जनवरी को ” नवा जतन ” उपचारात्मक शिक्षण प्रक्रिया पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया , जिसमें संकुल स्त्रोत केंद्र परसदा के अधीनस्थ शासकीय प्राथमिक एवम उच्च प्राथमिक शाला मगरघटा तथा शासकीय प्राथमिक एवम उच्च प्राथमिक शाला परसदा के 18 शिक्षकों ने अपनी सहभागिता देते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया । प्रशिक्षण का शुभारंभ मां शारदे के तैलचित्र में पूजा अर्चना , वंदना के साथ हुआ । पश्चात संकुल शैक्षिक समन्वयक एवम मास्टर ट्रेनर ललित कुमार बिजौरा ने सभी शिक्षकों से अपने परिचय के साथ साथ शैक्षिक उपलब्धि एवम अंतर्निहित प्रतिभा को साझा करने आमंत्रित किया । सभी शिक्षकों ने अपने शैक्षिक उपलब्धियों एवम प्रतिभा को एक दूसरे को साझा किया , तथा शिक्षकीय कार्यकाल के दौरान कक्षा के अंदर एवम बाहर किस प्रकार से चुनौती उनके सामने आयी और चुनौती को सफलता के रूप में कैसे तय किया ये सभी अनुभव बताए गए । पश्चात पीएलसी सदस्य एवम मास्टर ट्रेनर मोहित कुमार शर्मा द्वारा ” नवा जतन कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया । उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान बच्चों में जो लर्निंग लास हुआ है उन्हें दृष्टिगत रखते हुए बुनियादी भाषा साक्षरता और संख्या ज्ञान (FLN ) प्राप्त न सकने वाले बच्चों का चिन्हांकन , मूल्यांकन , निदानात्मक परीक्षण एवम उपचारात्मक शिक्षण के बारे में बताया गया । ललित कुमार बिजौरा ने बताया कि उपचारात्मक शिक्षण की प्रक्रिया सामान्य शिक्षण के दौरान ही अपनाना है । विद्यालय को एवम 100 प्रतिशत बच्चों को दक्ष करने के लिए ” नवा जतन के 6 सशक्त तरीकों के बारे में बताया गया जिसके अंतर्गत– बच्चों को खुद सीखने के लिए प्रेरित करें , बच्चों को स्वंय से अधिक सीखने के लिए चुनौती दें , पियर लर्निंग , ग्रुप लर्निंग , के लिए विषय मित्र , गली मित्र बनाना , छात्रों की जिज्ञासा का सम्मान करें , सीखने की प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का उपयोग , सेल्फी विथ सक्सेस के बारे में बताया ।
उन्होंने प्रतिदिवस के गतिविधि को वीडियो , ऑडियो , फोटोग्राफ के माध्यम से साझा करने की बात कही । डाईट दुर्ग (अछोटी ) से श्री बी.व्ही.आर मूर्ति सर ने कहा कि बच्चों को प्रारंभिक स्तर से ही बुनियादी साक्षरता एवम संख्या ज्ञान आवश्यक है । उन्होंने बताया कि हमें बच्चों के नीड को समझना आवश्यक है और उसके अनुरूप गतिविधि संचालित किया जाना चाहिए । संज्ञानात्मक के अलावा सहसंज्ञानात्मक क्षेत्र में भी कार्य करने की आवश्यकता है । बच्चों के जीवन कौशल विकास हेतु कार्य करने शिक्षकों को प्रेरित किया गया । कार्यशाला में विशेष रूप से कौशल प्रसाद चौबे , नरेश कुमार यादव , पवन कुमार साहू , खेलावन सिंह कुर्रे , श्रीमती अंजू वर्मा , श्रीमती सुजाता मिश्रा , श्रीमती लीना बघेल , श्रीमती मेरी सुषमा खलखो ,श्रीमती मेघा गुप्ता बारले , कोमल सिंह ठाकुर , श्रीमती पूर्णिमा यादव , सुशील कुमार साहू , कुलेश्वर प्रसाद ठाकुर , श्रीमती अनिता ध्रुव , श्रीमती शाहिन अली , जयंत कुमार वर्मा , कौशल कुमार शुक्ला उपस्थित रहे ।
