आशीष दास
कोंडागांव/बोरगांव । यूनिसेफ और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘नियमित टीकाकरण में मीडिया की भूमिका’ पर एक कार्यशाला का आयोजन होटल ग्रीन पाम में किया गया जिसमें विशषज्ञों द्वारा नियमित टिकाकरण व मीडिया की भूमिका पर चर्चा की गई । यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर गजेंद्र ने बताया कि टीकाकरण शिशु मृत्यु दर कम करने का सबसे कारगर उपाय है। NHFS-5 के अनुसार छत्तीसगढ़ में पूर्ण टीकाकरण की दर 79.6% है। यह राज्य सरकार के अथक प्रयासों से ही संभव हो सका है। छत्तीसगढ़ राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम प्रतिवर्ष 7.1 लाख गर्भवती महिलाओं और 6.2 नवजात शिशुओं तक पहुंचता है। इसके लिए प्रतिवर्ष 4 लाख से ज्यादा टीकाकरण सत्र आयोजित किये जाते हैं। टीको को 760 कोल्ड चैन पॉइंट्स के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुंचाया जाता है।
अभी राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम में 10 टीके दिए जा रहे हैं, जो नवजात शिशुओं को 13 बीमारियों से करेंगे बचाव।
टीकाकरण कार्यक्रम को बेहतर कैसे बनाया जाए जिससे राज्य में टीकाकरण दर और बेहतर हो, इसी विषय पर कांकेर और कोंडागांव के मीडिया क्षेत्र के साथियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उन्हें टीकाकरण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी गई एवं इस बात पर चर्चा की गई कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में किस प्रकार मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अशोक प्रधान ने कहा कि पत्रकार ज़मीनी स्तर की समस्याओं से व्यक्तिगत स्तर पर परिचित होते हैं व बस्तर के जनजातीय समाज को बेहतर जानते हैं उनकी मनोवृत्ति व्यवहारों के अनुरूप नियमित टीकाकरण हेतु विशेषज्ञ के रूप में भी व मध्यस्थ के रूप में भी अपनी भूमिका को राज्य हित व देश हित में टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने में पत्रकार साथी अपना सहयोग प्रदान करेंगे जिस उद्देश्य से ये कार्यक्रम आयोजित किया गया।
ड़ी.श्याम कुमार – एम.सी.सी.आर.टी , ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यशाला का उद्देश्य, बच्चों में टीकाकरण और उससे जुड़े तथ्यों के बारे में एक सार्थक चर्चा है ताकि इसका फायदा ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचे। इस कार्यक्रम में विभिन्न अखबारों के ब्युरो प्रमुख व बड़ी संख्या में पत्रकारों ने सहभागिता निभाई व इस विषय पर अपनी जिज्ञासा व प्रश्न साझा किए।