रायपुर।छत्तीसगढ़ में कांकेर के रहने वाले अजय मंडावी और बालोद जिले के लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह कुंवर को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान प्रदान किया है।छत्तीसगढ़ के दोनों महान विभूतियों को यह सम्मान मिलने से छत्तीसगढ़ गौरवान्वित हुआ है।
अजय मंडावी को यह सम्मान लकड़ी पर उकेरी गई कला को लेकर मिला है। अजय ने बचपन से ही विरासत में सीखी कला को आगे बढ़ाने का काम किया है। अपने पिता-माता से सीखी इस कला को जेल में बंद कैदियों तक पहुंचाया। इसके जरिए उन्होंने कैदियों को न केवल काष्ठ कला सिखाई, बल्कि जिंदगी जीने की राह भी दिखाई है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें सम्मान मिलने पर कांकेर में खुशी की लहर है।

अजय मंडावी के बारे में परिजनों ने बताया कि, साल 2005 से वह जेल में बंद कैदियों को काष्ठ कला सिखा रहे हैं। अभी तक 400 से अधिक कैदियों को उन्होंने काष्ठ कला सिखाकर आत्म निर्भर बनाया है। लकड़ी पर कलाकारी करते हुए उन्होंने बाइबल, भगवत गीता, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं को उकेरने का काम किया है। अजय मंडावी का पूरा परिवार आज किसी न किसी कला से जुड़ा हुआ है। परिवार के अन्य सदस्यों को भी कहीं न कहीं उन्हें यह कला विरासत में मिली है।
बालोद जिले के लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह कुंवर को बुधवार संध्या राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मू ने पद्म श्री से सम्मानित किया इस दौरान उन्होंने पुरस्कार लेने से पूर्व अतिथियों का अभिवादन किया। जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह सहित समस्त देशभर के दिग्गज मौजूद रहे।
पुरस्कार मिलने के बाद डोमार सिंह ने कहा कि इतने वर्षों जी तपस्या का यह परिणाम है यह मेरा नहीं पूरे बालोद और छत्तीसगढ़ वासियों का सम्मान है उन्होंने कहा है के यहां पर नाचा जो मूल विधा है छत्तीसगढ़ की उनके लिए उन्हें सम्मान मिला और मैं छत्तीसगढ़ के लिए कुछ कर पाया