पंडरिया:विलुप्त हो रही है,दौरी से फसल मिसाई की परंपरा


पंडरिया।फसल मिसाई की आधुनिक तरीकों के आने के साथ पुरानी परंपरा दौरी अब विलुप्त हो रही है।दौरी में 8 से 10 बैलों को एक साथ बांधकर फसल के ऊपर चलाया जाता है,जिससे फसल पौधे से अलग हो जाते हैं।

वनांचल के कुछ गांवों में अभी भी यह परंपरा अपनाई जाती है।यह
धान सहित तस्वीर ग्राम तेलिया पानी (धोबे) है,जहां किसान द्वारा कुटकी फसल की मिसाई की जा रही है।वनांचल के अनेक गांवों में दौरी के द्वारा मिसाई कार्य किया जाता है।वनांचल में कोटो -कुटकी की फसल अधिक लगाई जाती है,जिसमें ट्रेक्टर व हार्वेस्टर से कृषि कार्य काफी महंगा व दुर्लभ होता है।कृषक मुकेश यादव ने बताया कि कोदो कुटकी के फसल की मिसाई कार्य दौरी द्वारा किया जाता है।