संजय साहू
अंडा। ग्राम मोहदींपाट बाबा में नौ दिवसीय भागवत कथा चल रहे हैं। जिसमें कथावाचक बता रहे हैं,
जिस दिन घर घर मे माता पिता की पूजा सेवा प्रारम्भ हो जाय यकीनन उस दिन सारे संसार मे राम राज्य स्थापित हो जायेगा, केवल एक दिन मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने से कुछ नही होगा प्रतिदिन माता पिता की पूजन घर मे हो बाहर मंदिर में जाकर भगवान ढूंढने की आवश्यकता नही है जिसने हमे 9 महीना गर्भ में रख कर अमृत दुग्ध का पान कराया जिसने हमे सहारा देकर इस संसार मे चलना सिखाया आज वही माता पिता बेसहारा होकर वृद्धआश्रम में रह रहे है,भारत की धरा पर जगह जगह वृद्धआश्रम संचालित किया जा रहा है माता पिता के चरणों मे चारो धाम का वास है माता पिता का चरणामृत गंगाजल के समान पुण्य प्रदायी है इसलिए माता पिता का सदैव सम्मान करें तिरस्कार न करे।

उक्त संदेस मोहदींपाट बाबा धाम के देवांगन
परिवार के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र, प्रह्लाद चरित्र पर आध्यात्मिक विवेचन करते हुए प्रवचनकर्ता सद्गुरु संत श्री निरंजन महाराज जी श्री भागवत आश्रम लिमतरा ने कहा।की संत श्री ने आगे कहा बचपन से बच्चो को संस्कार से युक्त करो आज के परिवेश में संस्कार विलुप्तता के कगार पर पहुच गई है , बच्चो को संस्कारवान बनाये पाश्चात्य सभ्यता सुरसा बनकर बच्चो के अंदर से संस्कार को ग्रास बना रही । भारत की धरा पर संस्कार से युक्त धरा है लेकिन आज तो सोलह संस्कारों में से कुछ ही संस्कार शेष है बाकी सभी संस्कार को लोग छोड़ते जा रहे है और संस्कार का त्याग कर अपने आप की विकासशील माने तो याद रखे ये विकास नही अपितु मानव जीवन का विनास है।इसलिए बचपन से ही बच्चो को संस्कार वान बनाये । स्वयं सुसंस्कृत होकर ही दूसरे के अंदर संस्कार प्रदान कर सकते है पहले हमें स्वयं को संस्कारित होना आवश्यक है।
आगे संत श्री जी ने भरत कथा में वर्णन किये हिंसा के मार्ग का परित्याग कर अहिंसा के मार्ग पर अग्रसर होने का संदेस दिया, हिंसा के तीन प्रकार कायिक, वाचिक, मानसिक हिंसा कर्म से हिंसा करना कायिक हिंसा, किसी के प्रति बुरा बोलना वाचिक हिंसा, मन से किसी के प्रति अमंगल की भावना रखना मानसिक हिंसा है। महाराज श्री जी ने निरीह पशुओं की बलि प्रथा का खंडन करते हुए कहे अपने जीवन के दुर्गुण काम क्रोध लोभ मद मोह मत्सर दम्भ द्वेष छल कपट पाखण्ड रूपी पशुओं का बलि दे, मूक पशुओं की बलि देने से देवी देवता प्रशन्न नही होते।
भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान नर्सिंग रूप में अवतार धारण किये । भगवान की भक्ति के लिए उम्र का कोई बंधन नही जब भी समय मिले भगवान की भक्ति में भजन में तल्लीन रहे। लोगो का स्वभाव होता है कि वृद्धावस्था में जाकर भजन भक्ति करेंगे लेकिन हमें यह भी ज्ञात है कि एक पल का भी ठिकाना नही और हम कल पर कार्य को छोड़ते है। यह मानव का जीवन ही अवसर मिला है इसका सदुपयोग करे। आज दिनांक 07.01.2024, दिन-रविवार गजेन्द्र मोक्ष सागर मंथन, देवासुर संग्राम, वामन अवतार, राजा बाली प्रसंग दिनांक 08.01.2024, दिन-सोमवार श्री कृष्ण जन्म जन्म महोत्सव, पूतना वध, बाल लीला, माखन चोरी दिनांक 09.01.2024, दिन-मंगलवार वृन्दावन लीला मथुरागमन कंसवध, श्री रुखमणी मंगल कथा वर्णन दिनांक 10.01.2024, दिन-बुधवार श्री सुदामा चरित्र द्वारिका तीला भाव, यदुवंश छ्य परीक्षित मोक्ष पश्चात भगवान श्री विग्रह में तुलसी दल अर्पण, (चढौत्री कार्यक्रम) दिनांक 11.01.2024, दिन-गुरुवार श्री गीतासार प्रवचन हवनपूर्णाहुति कपिलातर्पण, सहस्त्रधारा स्वान होगा। यह जानकारी लखन लाल देवांगन और सरपंच सुशीला देवांगन, जयंत्री देवी देवांगन , गीता देवी देवांगन ,सुरेश-पुष्पा देवांगन, शशीकांत-वंदना देवांगन ,नरेश-दिव्या देवांगन सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे।