बलराम यादव/9893363894
पाटन। पाटन विधानसभा पर प्रदेश ही नहीं बल्कि केंद्र के भी सभी लीडर की निगाहे जमी हुई है। यहां पर कांग्रेस और भाजपा ने राजनीति के चिर प्रतिद्वंद्वी को चुनाव मैदान में उतारे है। वही इन दोनो ही पार्टी के सामाजिक कार्ड को फेल करने के लिए जोगी कांग्रेस के सुप्रीमो अमित जोगी तो आम आदमी पार्टी और छग क्रांति सेना साहू प्रत्याशी को मैदान पर उतारे है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिसका अब पाटन धीरे धीरे परंपरागत सीट बनता जा रहा है। उसे फिर से जीत दिलाने कांग्रेस के कार्यकर्ता मैदान में उतरे है। वही भाजपा ने सांसद विजय बघेल को मैदान पर उतरे है। विजय बघेल एक बार भूपेश बघेल को पराजित भी कर चुका है। इस कारण भी भाजपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उन्हें मैदान में जाने राजनीतिक गुर सिखा रहे है। भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल भी अपना जनसंपर्क के जो शेड्यूल बने है उन्ही के अनुसार दौरा कर रहे है। एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चुनाव प्रचार का जिम्मा उनके काफी करीबी कांग्रेस नेता आशीष वर्मा ने संभाल लिया है। वही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतनय बघेल ओर उसकी पुत्री भी गांव गांव में बैठक ले रही है। इधर भाजपा की बात करे तो दक्षिण पाटन में विजय बघेल के छोटे भाई संजय बघेल चुनावी मोर्चा संभाले है। वही दुर्ग के कुछ बड़े नेताओं को भी पाटन विधानसभा में जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा विजय बघेल की पत्नी श्रीमती रजनी बघेल भी चुनावी रण में अपने पति को जिताने उतर चुकी है।
सामाजिक खेल इस तरह बिगड़ सकता है
कांग्रेस और भाजपा ने कुर्मी समाज से प्रत्याशी मैदान में उतारे है। सूत्रों की माने तो समाज के लोगो में अब यह चर्चा चल रही है की कोई भाजपा कांग्रेस कोई भी जीते समाज के ही एक नेता पाटन से नेतृत्व करेगा। राजनीति में समाज का काफी अहम भूमिका भी मानी जाती है। यही कारण है को कुर्मी मतदाता को भाजपा कांग्रेस में बंटते देख अन्य राजनीतिक दलों ने साहू प्रत्याशी मैदान पर उतारे हैं। जोगी कांग्रेस के सुप्रीमो अमित जोगी के पाटन की रण में उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। इसी तरह आप पार्टी ने अमित हिरवानी को और छग क्रांति सेना ने मधु साहू को टिकिट दिए है। अब महत्वपूर्ण विषय यह है की हर बार कुर्मी, साहू , सतनामी वोटर्स को ही किंग मेकर माना जा रहा था। लेकिन इस बार कुर्मी वोट दो भाग में बंटने की चर्चा है। साहू वोटर्स भी अपने समाज के प्रत्याशी के तरफ रिझते नजर आ रहे है। जोगी कांग्रेस का एक बड़ा मतदाता सतनामी समाज से ही है। इस कारण जोगी कांग्रेस को भी कम आंकना ठीक नही होगा।
अब इन सामाजिक वोटर्स पर है सबकी नजर
चर्चा में यह है की कुर्मी ,साहू और सतनामी वोटर्स कही न कही सामाजिक रुझान की तरफ जा सकता है। इस लिहाज से अब बचे हुए सामाजिक जिसमे यादव , निर्मलकर, आदिवासी, देवांगन, ब्राम्हण, सहित अन्य सामाजिक मतदाताओं को साधने का प्रयास सभी प्रत्याशी कर रहें है। राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है की इस बार कुर्मी, साहू, सतनामी के अलावा किसी भी प्रत्याशी की जीत की भूमिका निभाने में अन्य समाज के वोटर्स भी काफी हद तक भूमिका निभाएंगे।

