पाटन ब्लॉक: पौधे लगा दिए, पैसा भी भुगतान हो गया, लेकिन पौधा के नाम पर सिर्फ सुखी टहनी दिखाई दे रही, मनरेगा से हरियाली लाने करोड़ों खर्च किए, धरातल पर कुछ और ही मंजर, कैसे हुआ बंदरबाट का खेला, पढ़िए पूरी खबर

पाटन। शासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण और हरियाली विस्तार को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर खुद प्रशासनिक उदासीनता पानी फेर रही है। वर्ष 2024-25 में जिपं दुर्ग द्वारा मनरेगा के तहत करोड़ों खर्च कर किए गए पौधारोपण कार्यक्रम आज बदइंतजामी और लापरवाही का शिकार हो चुके हैं।

बीते वर्ष मनरेगा के तहत पौधरोपण कार्य के लिए पाटन ब्लॉक के ग्राम बेल्हारी में 48 लाख रूपए, टेमरी में 64 लाख रूपए, धमना में 64 लाख, सोनपुर में 8.47 लाख, तरीघाट में 9.08 लाख,केसरा 9.08 लाख और सिकोला 9.08 लाख रूपए की स्वीकृति दी गई थी। इस पंचायतो में हरियाली बढ़ाने मनरेगा स्किम के अंतर्गत जिला पंचायत दुर्ग द्वारा 2 करोड़ 38 लाख से अधिक की स्वीकृति सामग्री और मजदूरी कार्य मिलाकर दी गई थी। जिसकी जिम्मेदारी उपसंचालक उद्यानिकी विभाग और बिहान सीएलएफ को सौंपी गई थी। बीते अक्टूबर-नवंबर में इन ग्रामों में हजारों पौधे लगाए गए थे, जो अब सूखने और नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुके हैं।

बेल्हारी सहित सात गांवों में योजना धराशायी

ब्लॉक के ग्राम ग्राम टेमरी में 7 अलग अलग प्रोजेक्ट में करीब 68 लाख में 5 हजार पौधे लगाए गए। बेल्हारी में 48 लाख की स्वीकृति दी गई थी, जिसके अंतर्गत 3200 पौधे रोपे गए। धमना में भी 64 लाख से अधिक राशि से 5 हजार पौधे रोपे गए । कार्य में संबंधित वेंडर को ट्री गार्ड और अन्य सामग्री का भुगतान हो चुका है, लेकिन आज स्थिति यह है कि अधिकांश पौधे सूख चुके हैं। फिर भी उद्यानिकी और पंचायत विभाग की कोई जवाबदेही नहीं दिख रही है।

फाइल फोटो