स्वर्गीय तिलक परगनिहा की 25 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित की गई काव्य गोष्ठी

राकेश सोनकर

कुम्हारी । साहित्यकारों, कवियों में चिरपरिचित नाम स्व. तिलक परगनिया जो अत्यल्प अवधि में अपने साहित्य ज्ञान और रचनात्मक कार्यों की विशिष्ट छाप छोड़ कर ब्रम्हलोक की यात्रा में चले गए । उनकी स्मृति में ऋतम्भरा साहित्य समिति कुम्हारी के तत्वावधान में मन्नूलाल परगनिहा एवं परिवार द्वारा प्रतिवर्ष काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है । इस वर्ष भी उनके गृह ग्राम सुरजीडीह में यह काव्य गोष्ठी आयोजित किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय चंद्राकर विशिष्ट अतिथि मुरारी लाल साहू ने स्वर्गीय तिलक परगनिहा के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलन पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ऋतंभरा साहित्य समिति कुम्हारी के अध्यक्ष नारायण वर्मा ने कहा कि प्रतिभा के धनी स्व. तिलक परगनिहा की कमी हमेशा रहेगी यह अपूरणीय क्षति है । सतत 24 वर्षों से स्वर्गीय तिलक परगनिया की पुण्यतिथि पर साहित्य रचना धर्मिता के प्रति समर्पित स्वर्गीय तिलक की पुण्यतिथि उनके पिता मन्नूलाल परगनिया एवं उनके परिवार द्वारा काव्य गोष्ठी के रूप में आयोजित की जाती रही है जिसमें समस्त कवि रचनाकार आसपास के सम्मिलित होते हैं इस प्रकार चलने वाले आयोजन के माध्यम से स्वर्गीय तिलक को परिवार तथा साहित्य धर्मी, कवि, रचनाकारों द्वारा स्मरणांजलि समर्पित किया जाता है ।

महेश वर्मा ने स्वर्गीय तिलक परगनिया के साथ व्यतीत किये क्षणों को स्मरण करते हुए रोचक बातें कवि गोष्ठी में साझा किया यह क्षण सभी उपस्थित जनों कवियों रचनाकारों के लिए अभूतपूर्व रहा । दोपहर 2:00 बजे से प्रारंभ किया गया । कार्यक्रम देर शाम तक चले काव्य गोष्ठी में ख्याति नाम कवियों शायरों ने शिरकत कर गोष्ठी के आयोजन को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया कार्यक्रम के संचालन को सफलता के शिखर पर पहुंचाने का काम नरेश विश्वकर्मा ने अपने विशेष और निराले अंदाज में किया । चिंतामणि साहू, लखनलाल साहू, हेमलाल निर्मोही, विष्णु राम कुर्रे, नंदलाल यादव, गजेंद्र द्विवेदी, डॉ वीणा सिंह, रियाज खान गौहर, नीलकंठ देवांगन, बैकुंठ महानंद, मुरारी लाल साहू, डॉक्टर नौशाद सिद्दीकी, कामता प्रसाद दिवाकर, बीएल साहू, रघुनाथ देशमुख, सुनीता परगनिहा, ओमवीर करण, जगन्नाथ निषाद, नारायण वर्मा, नरेश विश्वकर्मा, मीना वर्मा, कल्याणी चंद्राकर, हेमलता वर्मा, धीरज कश्यप दीनू जगदलपुर, महेश वर्मा, दीपक वर्मा एवं अनुराधा वर्मा ने इस गोष्ठी को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान प्रदान किया।