आलेख – पोरा तिहार
हमर भारत देश कृषि प्रधान देश हरय। पहली जमाना में खेती-किसानी के काम पशु मन के द्वारा करे जावत रिहीस। आज भी गाँव में खेती-किसानी के काम बइला-भँइसा के द्वारा करे जाथे। फेर आधुनिक युग मा कृषि काम ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर, आदि मशीन से होवत हे, तेखर सेती अब खेती-किसानी में पशु मन के उपयोग कम होगे हे।

वइसे तो हमर छत्तीसगढ़ में तीज-तिहार के विशेष महत्व हे। जेमा पोरा तिहार बहुत ही खास तिहार आय।
पोरा तिहार जेला हिंदी में पोला पर्व के रूप में हमर छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश अउ महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाये जाथे। मान्यता हे कि द्वापर युग में कृष्ण भगवान जब लइका रूप में रिहिस तब कंस ह कृष्ण भगवान ला मारे बर कई झन राक्षस मन ला भेजिस जेमा पोलासुर नाम के राक्षस भी रिहिस हे। भगवान कृष्ण हर पोलासुर ला मार के बाल रूप में अपन लीला देखाइस। जे दिन पोलासुर के वध होइस वो दिन भादो के महीना अमावस्या के दिन रिहिस हे, उही दिन ले पोला पर्व मनाय जाथे।
हमर छत्तीसगढ़ में पोरा तिहार के विशेष महत्व हे। ये दिन विशेष रूप से बइला के पूजा करे के रिवाज हे। ये दिन बइला मन ला सजाय जाथे अउ पूजा करे जाथे। गाँव मा खेती-किसानी जोताई-बोवाँई के काम होय के बाद पोरा तिहार के दिन किसान मन अपन बइला मन के पूजा करथें। येखर अलावा माटी के बइला के भी पूजा करे जाथे, संगे संग माटी के जाता-पोरा के पूजा भी होथे। मान्यता हे कि पहली जमाना में गहूं, चना, राहेर, तिवरा, कोदो अनाज ला जाँता मा दर के खाना बनावै। आज के जमाना में सब चीज रेडिमेंट मिल जाथे।
पोरा तिहार मा रोटी पीठा के विशेष महत्व हे। ये दिन सबों घर मा ठेठरी-खुरमी, बरा, सोंहारी, अइरसा, चौसेला, भजिया, गुजिया, चीला आदि प्रकार के रोटी बनाय जाथे, जेला पूजा के बाद बइला अउ जाँता पोरा मा चढ़ाथे। पूजा के बाद बहिनी मन पोरा पटके बर गाँव के चऊँक मा जाथे। पोरा तिहार के दिन नान्हे-नान्हे लइका मन बर माटी के बइला मा चक्का लगा के ओमा बाँस के कमचील लगा के बने सुग्घर तइयार करे जाथे। फेर लइका मन मगन हो के गली मा अब्बड़ चलाथें। अउ नोनी मन घर मा जाँता पोरा मा सगा पहुना खेलथें।
हमर छत्तीसगढ़ मा कइ जगह मा बइला दौड़ प्रतियोगिता के आयोजन भी होथे। जेमा आस-पास के क्षेत्र के किसान मन अपन बइला मन ला सुग्घर सजा के प्रतियोगिता मा भाग ले बर आथें। अउ ये प्रतियोगिता ला देखेबर घलो आस-पास के मनखे मन सकलाथें।
पोरा तिहार के एक अलग मान्यता हे कि पोरा माने “पोटरियाना” मतलब धान मा दूध आना। जब खेत के धान के फसल हर गर्भ धारण करथे, या दूध भराथे तेला पोकरी भरना, या पोटरियाना भी कहिथे। तेखर सेती हमर छत्तीसगढ़ मा पोरा तिहार मनाय जाथे।
रचनाकार
राजकुमार निषाद राज
बिरोदा, धमधा, जिला-दुर्ग
7898837338