बलराम यादव
पाटन। नगर पंचायत पाटन का चुनाव आ गया। यहां भाजपा की जीत हुई है। कांग्रेस दूसरे स्थान पर तथा भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव में इस बार मतदाताओं ने काफी उत्साह दिखाया और बंपर मतदान किया। इसके अलावा इस बार महिला वोटर घर से ज्यादा निकली और पुरुष मतदाता से ज्यादा मतदान किया। यही महिला मतदाता भाजपा के लिए मास्टर स्ट्रोक बनी। आइए इस तरह से जानते है कैसे भाजपा को लाभ हुई
महतारी वंदन योजना
भाजपा के महतारी वंदन योजना का असर निकाय चुनाव में भी देखने को मिला। जिस दिन महिला वोटर की प्रतिशत मतदान के दिन ज्यादा देखने को मिला उसी दिन से राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के पक्ष ने देखने लगे थे। महतारी वंदन योजना से इस बाहर भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में करीब पांच प्रतिशत ज्यादा वोट मिले है।

अटल संकल्प पत्र
भाजपा की जीत में अटल संकल्प पत्र का भी अहम योगदान रहा। वही भाजपा के योगेश निक्की भाले में चुनावी मैदान पर जब उतरे तो उन्होंने खुद का भी एक संकल्प पत्र स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जारी किया था। ये भी भाजपा के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ।
भाजपा का कैडर वोटर
कहते है किसी भी पार्टी का कैडर वोट उस पार्टी की रीढ़ की हड्डी लगी जाती है। इस चुनाव में भाजपा से बागी होकर एक और प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा। लेकिन आज जब मतगणना के बाद जब परिणाम आया तो यह स्पष्ट दिखा कि भाजपा दो फाड़ जरूर हुई लेकिन भाजपा का कैडर वोटर नहीं बिखरे। यह भी भाजपा की जीत का एक कारण है।
भाजपा प्रत्याशी का सक्रियता
भाजपा के प्रत्याशी योगेश भाले पिछले पांच साल से जब कांग्रेस का सरकार थी तब अकेला विपक्ष में रहा। विभिन्न मुद्दा को लेकर वे हमेशा जमीन की लड़ाई लड़ते रहे। जब 14 माह पहले भाजपा की सरकार बनी तो योगेश भाले ज्यादा सक्रिय हुए। शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने तथा आम नागरिकों की समस्याओं दूर करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे।
सामाजिक तानाबाना
आज जैसे ही वार्डवार मतगणना की स्थिति स्पष्ट हुई तो यह चर्चा सामने आई कि नगर में सामाजिक ताना बाना का भी खेल हुआ होगा। जिन वार्डो में देवांगन मतदाता है उन वार्डो में भी भाजपा को ज्यादा वोट मिले है। इसके अलावा श्रमिक बहुल वार्डो में भी भाजपा को वोट मिले है।
कांग्रेस यहां पर हुई फेल
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ निर्दलीय भी जोश से चुनाव लड़ा। जब भाजपा से बागी होकर होरी लाल देवांगन ने नामांकन जमा किया तभी से यह चर्चा शुरू हो गई कि भाजपा दो फाड़ में हो गया। लेकिन मतों के गिनती के बाद यह स्पष्ट हो गया कि निर्दलीय का चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए नुकसान हुआ। पिछले चुनाव में जिन वार्डो में कांग्रेस के पार्षदों को सबसे ज्यादा वोट मिला था उन वार्डो में निर्दलीय प्रत्याशी सेंध लगाने में कामयाब हो है। भाजपा अपना वोट को संभाल लिया।
निर्दलीय ने दिखाए दम
पाटन के चुनाव में इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी जमकर पसीना बहाया। लेकिन रिजल्ट को अपने पक्ष में नहीं कर पाया। पिछले बार जब उपासना चंद्राकर निर्दलीय चुनाव लड़ा तो उसे भाजपा के कैडर वोट भी मिले थे। लेकिन इस पार ऐसा नहीं हुआ। नगर में अभी भी यह चर्चा में है कि आखिर निर्दलीय को मिले वोट किसका है। क्या कांग्रेस के वोट निर्दलीय के तरफ चले गए या फिर कोई एक समाज ने उन्हें एकतरफा वोट दिया है। यह चुनाव एक सवाल जरूर छोड़ गया।