दीपांकर खोबरागड़े
राजनांदगांव।छत्तीसगढ़ प्रदेश में विगत 15 वर्षों तक अपना शासन चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अब जब राजनांदगांव विधानसभा के लोगों ने उन पर भरोसा जताया उस कठिन परिस्थितियों में तब जब छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पूरे प्रदेश में अपनी कमजोर परिस्थितियों की वजह से कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत हासिल हुई और भाजपा के बड़े बड़े सुरमा चुनाव हार गए ऐसी विषम राजनीतिक विफल परिस्थितियों में भी राजनांदगांव की जनता ने मुख्यमंत्री रहते हुए किए गए डॉक्टर रमन सिंह के विकास रूपी कर्ज को उन्हे राजनांदगांव का विधायक बना कर ऋण मुक्त होने का परिचय दिया। यही कारण है कि आज पूरे प्रदेश में भाजपा के धाकड़ लोगो के हारने के बावजूद जीत का तिलक डॉ रमन सिंह के माथे पर लगा है।
पर विगत साढ़े चार वर्षो की बात करे तो कही न कही राजनांदगांव की जनता को यह महसूस हुआ की विधायक के रूप में डॉ रमन सिंह अपने दायित्वों से कहीं ना कहीं उदासीन नजर आ रहे हैं। दबी जुबान से ही सही नगर के प्रबुद्ध लोगों के इतर अब भाजपा के लोग भी इस बात को कहने से गुरेज नहीं रखते की पहले के डॉक्टर रमन सिंह और आज के डॉक्टर रमन सिंह में जमीन आसमान का फर्क नजर आता है । “और हो भी क्यों नहीं” 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री के तौर डॉक्टर साहब ने जिन्हें मिनीयाते मिन्नते करते देखा हो और सारे ब्यूरोक्रेट्स दहलीज पर समय के पहले उपस्थित रहते रहे हो जिनका इशारा मात्र आदेश होते थे ऐसी परिस्थितियों में जब उनके आदेशों को सर आंखों में बिठाकर नियमों को छोड़ पहले ही काम पर लगने वाले जब विपक्ष के रूप में इनकी भूमिका को नजर अंदाज करने लगे तो ऐसे में “उदासीन” और “मन में टीस” अपने दायित्वों से पीछा छुड़ाने की दिशा तो बदल ही सकती है!
विधायक चुने जाने के बाद डॉ रमन सिंह के उदासीनता को लेकर जब चर्चा सरगर्म हुई तब कहीं जाकर उनका सांकेतिक कार्यालय खोला गया ताकि लोगों को यह लगे की डॉक्टर साहब अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों से तो महीने में कम से कम एक मर्तबा मिल ही लेंगे पर ऐसा हुआ नहीं। महज विधानसभा कार्यालय के नाम पर “सबरस होटल” के सामने कार्यालय अब सफेद हाथी साबित हो रहा है यही नहीं राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में लगभग कई घटनाएं विगत साढ़े 4 वर्षो में घटी जो आज ताजा घटनाएं घटी उन्हीं पर बात करें तो
पहली घटना रेत मे महिला की लाश
रेत माफियाओं द्वारा मोखला जंगलेश्वर जो राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है वहां मानवता की सभी हदें पार कर जो अमानवीय चेहरा सामने आया उसमें वह दृश्य लोगों को झंझोर कर रख दिया , रेत माफियाओं ने सारी हदें पार कर जिस स्तर से रेत की अंधाधुन खुदाई की उसमें उन्होंने कब्र को तक नहीं छोड़ा और इसी का परिणाम रहा कि एक महिला की लाश भी उन्होंने रेत के साथ कब्र से उखाड़ कर रेत खरीददार को ही बेच दिया जब खरीदने वाले के मुहाने पर रेत रखी गई तो लाश देखकर स्तब्ध रह गया और आसपास के लोगों में इस बात को लेकर सनसनी फैली तो लोग रेत में रखी लाश को देखने शहर की भीड़ आ गई और इस घटना ने राजनांदगांव विधानसभा को पूरे प्रदेश में अमानिवीय घटना के लिए शर्मसार किया उसे लेकर डॉ रमन सिंह ने आंदोलन करने की भी चेतावनी दी थी पर नतीजा सिफर रहा और आज तक कार्यवाही के नाम पर महज पुलिसिया जांच जारी है इसमें अब तक जिन्हे दोषी ठहराया गया है वह मात्र परिवहन कर्ता है पर जिन्होंने इस रेत के व्यवसाय के काले कारोबार में अपने माफिया रूपी साम्राज्य के बूते खनिज विभाग के वरदहस्त के चलते अवैध रेत उत्खनन के कार्यों में लगे रहे उन तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जिस पर डॉक्टर रमन सिंह भी विधायक होते हुए भी चुप्पी साधे बैठे हुए। इस घटना को लेकर साहू समाज काफी अक्रोशित है जिसके परिणाम चुनावो मे भी दिखेंगे।।
दूसरी घटना हाल की ही है जिसने दो मासूम की मौत मुरूम माफियाओं के वजह से
सांकरा ग्राम मे दो बच्चों की मौत,अवैध मुरूम माफियाओ और खनिज विभाग के मिलीभगत का आरोप लग रहा है जिले के ग्राम पंचायत सांकरा में 2 बच्चों की मौत के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम भी किया और छन कर यह बात सामने आ रही है की निर्धारित माप से ज्यादा खोदा गया और अवैध मुरूम का परिवहन लंबे अरसे से चल रहा था मौत से गांव में मातम और आक्रोश भी रहा ऐसे अति संवेदनशील मुद्दों से भी डॉक्टर रमन सिंह राजनांदगांव विधायक अगर किनारा कर रहे हैं और अगर साथ खड़े हैं तो भी परिणाम नजर नहीं आए फिर यह बात वाजिब है कि उन्हें अपने राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में जरा भी रुचि नहीं लेने के आरोप को गलत नहीं कहा जा सकता और ना ही यहां के लोगों के प्रति उनकी संवेदना। बहरहाल अब तो विधानसभा चुनाव मुहाने पर आकर खड़ा है तो नेता तो तभी सक्रिय होता है जब चुनाव नजदीक आता है और चुनाव लड़ना होता है हो सकता है अब इसी कड़ी में डॉक्टर रमन सिंह का अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव को देखते हुए दौरा बढ़ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं पर अमानवीय इन घटनाओं पर अगर कोई जनप्रतिनिधि महज जाकर परिजनों से मुलाकात करके अपनी संवेदनाएं प्रकट करता है तो यह सिर्फ दिखावा ही होगा अगर उचित कार्यवाही और गैर जिम्मेदार लोगों को उन जुड़े मामलों पर ठोस कार्यवाही के नतीजे नहीं आते तो फिर नेताओं के आंसुओं को भी फिर किससे तुलना करना चाहिए यह लिखने की आवश्यकता ही नहीं । बहरहाल विपक्ष के रूप में विधानसभा राजनांदगांव के विधायक डॉ रमन सिंह तो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे नहीं पर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेता भी इन स्थानों पर पहुंचे हो ऐसी कोई जानकारी भी अब तक नहीं आप आना सत्ता का माफियाओं को संरक्षण देना ही नजर आता है।