(आमालोरी हुआ राममय,दूसरे दिन शिव सती चरित्र सुनने जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ )
मनीष चंद्राकर
जामगांव आर।रामायण भगवान की लीला,चरित्र व गुणों की गाथा है इसके श्रवण और कथन के प्रति हमेशा एक नवीनता का भाव बना रहता है मानस में भगवान राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न जी के चरित्र में प्रदर्शित त्याग,तपस्या और विनयशीलता की बातों को निरंतर श्रवण करते रहने से श्रोता के अंदर भी ऐसे ही महान गुणों का समावेश हो जाता है,रामकथा जनमानस में उर्जा का संचार करते हुए उन्हें मर्यादा,धर्म और सत्य पथ पर चलने के लिये प्रेरित करती है और दिलों को जोड़ती है उक्त बातें व्यासपीठ से राष्ट्रीय कथावाचिका संत प्राची देवी ने कही ! पाटन क्षेत्र के गायत्री शक्तिपीठ आमालोरी में चैत्र नवरात्रि उत्सव के मध्य जारी नौ दिवसीय श्रीरामकथा महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है महिलाएं यहां बड़ी संख्या में पहुँचकर धर्मचर्चा का लाभ ले रही है वहीं मंदिर परिसर स्थित वेदमाता गायत्री मन्दिर,अखण्ड दीपक दर्शन, हनुमंत मन्दिर,शिव शक्ति मन्दिर सहित प्रखर प्रज्ञा सजल श्रद्धा स्मारक व प्रज्ञेश्वर महाकाल मंदिर एवं मनोकामना ज्योति कलश में दर्शन के लिये भी श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती जा रही है !
राष्ट्र जागरण सेवा समिति की ओंर से आयोजित रामकथा में कथावाचिका प्राची देवी के सुमधुर भजनों पर लोग थिरकते और झूमते रहे पंडाल राममय नजर आया दूसरे दिन उन्होंने रामकथा के महत्व पर आगे बढ़ते हुए इसे चन्द्रकिरण समान बताते हुए कहा कि चन्द्रकिरण हमेशा लोगों को अच्छी लगती है,जबकि सूर्य किरण सिर्फ सर्दियों मे ही अच्छी लगती है गर्मियों में नहीं कथा के क्रम में व्यासाचार्य प्राची ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ने जो लीलाएं भगवान राम के लिए रची थी,वह सौ करोड़ श्लोकों में वर्णित थी, भगवान शंकर ने सबसे पहले माता पार्वती को यह पावन कथा सुनाया और आगे चलकर यह कथा सभी को आनंद देने वाली हुई ,देवी जी ने आगे भगवान शंकर और सती विवाह के प्रसंग के अलावा सती भ्रम पर प्रकाश डाला और बताया कि शिव शक्ति चरित्र सुनने गृहस्थ संवरता है ! संध्या कथा विराम के बाद रामायण आरती में भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और व्यासपीठ का आशीर्वाद लिया !